आस्था का केंद्र बना सिद्धपीठ मंदिर भाकूवाला
शामली : माजरा रोड पर स्थित सिद्धपीठ मंदिर भाकूवाला श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना ह
शामली : माजरा रोड पर स्थित सिद्धपीठ मंदिर भाकूवाला श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना है। स्वयंभू शिव¨लग का अभिषेक और पूजन करने के लिए रोजाना श्रद्धालु उमड़ते हैं। श्रावण मास में तो हर दिन मेले जैसा माहौल रहता है। सोमवार के दिन तो अलसुबह से ही श्रद्धालु पहुंचने लगते हैं।
इतिहास : सिद्धपीठ मंदिर भाकूवाला मंदिर मराठाकालीन है और करीब 350 साल पुराना है। उस काल में इस मंदिर समेत क्षेत्र के चार मंदिर गुफा के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। यहां शिव¨लग भी स्वयंभू है। बाद में श्रद्धालुओं ने शिव की 51 फीट ऊंची मूर्ति भी स्थापित की थी। अब तो अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति भी विधि-विधान के साथ स्थापित की जा चुकी हैं। मान्यता है कि अगर कोई सच्चे मन से 40 दिन तक लगातार अभिषेक और पूजन करता है, उसकी महादेव हर मनोकामना पूरी करते हैं। शामली जिले के साथ मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और सीमावर्ती हरियाणा क्षेत्र भी श्रद्धालु आते हैं।
तैयारियां : श्रावण मास में मंदिर को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। नगर से गुजरने वाले कांवड़िये भी काफी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं। सुबह-शाम विशेष पूजा-अर्चना होती है।शिवरात्रि से एक-दो दिन पहले सजावट और बढ़ जाएगी। श्रद्धालुओं और कांवड़ियों को जलाभिषेक करने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए विशेष इंतजाम होंगे। मंदिर के आसपास प्रसाद आदि की अस्थायी दुकानें भी सजती हैं।
भगवान शिव कृपालु हैं। इस सिद्धपीठ को लेकर मान्यता है कि कभी भी 40 दिन तक शिव की आराधना करने से सभी मुरादें पूरी हो जाता हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु शिविलंग का अभिषेक करने के लिए आते हैं।
-पंडित कमलकांत पांडे, पुजारी
हम सभी की आस्था का केंद्र है ये सिद्धपीठ। जीवन में जब भी कोई समस्या आई तो महादेव की सच्चे मन से पूजा की और उन्होंने सबकुछ ठीक कर दिया। लगातार मंदिर जाते हैं और आज जीवन में शांति व संतोष है।
-जॉनी शर्मा, श्रद्धालु