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पितृ पक्ष का समापन आज, कल से शुरू शारदीय नवरात्र

पितृ पक्ष का समापन बुधवार को होगा। गुरुवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाएगा। इस साल आठ दिनों का शारदीय नवरात्र होगा। इसके मद्देनजन बाजारों में श्रद्धालुओं ने खरीदारी शुरू कर दी। बाजार में काफी रौनक दिखाई दी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Oct 2021 06:56 PM (IST)Updated: Tue, 05 Oct 2021 06:56 PM (IST)
पितृ पक्ष का समापन आज, कल से शुरू शारदीय नवरात्र
पितृ पक्ष का समापन आज, कल से शुरू शारदीय नवरात्र

शामली, जेएनएन: पितृ पक्ष का समापन बुधवार को होगा। गुरुवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाएंगे। इस बार आठ दिन के नवरात्र हैं, क्योंकि चतुर्थी तिथि का क्षय हो रहा है। वहीं, बाजारों में मां की मूर्तियों और पूजन सामग्री की खरीदारी खूब हो रही है और आज बाजारों में काफी भीड़ रहने का अनुमान है।

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पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू हुआ था और अंतिम दिन यानी बुधवार को अमावस्या तिथि का श्राद्ध होगा। इस दिन उन लोगों का भी श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती है। नवरात्र को लेकर कई दिनों से शहर में मां की मूर्तियों एवं पूजन सामग्री की दुकानें सजी हुई हैं। लोग खरीदारी भी कर रहे हैं। काफी लोग पितृ पक्ष में खरीदारी करने से परहेज करते हैं और ऐसे में बुधवार को भीड़ अधिक होगी।

ज्योतिषाचार्य पंडित प्रभुशंकर शास्त्री ने बताया कि नवरात्र में मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, कुष्मांडा, चंन्द्रघंटा, कालरात्रि, महागौरी, कात्यायनी, स्कन्दमाता व सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। प्रथम दिन घटस्थापन और मां की मूर्ति को स्थापित किया जाता है। मां इस बार डोली पर सवार होकर आ रही है। श्रद्धालु अष्टमी और नवमी तिथि पर मूर्ति का विसर्जन करते हैं।

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घटस्थापन मुहूर्त

पं. कमल शास्त्री ने बताया कि घटस्थापन का सुबह के समय शुभ मुहूर्त सुबह 6.17 से 10.11 बजे तक है। अभिजीत मुहूर्त 11.46 से 12.32 बजे तक का है।

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ऐसे करें घटस्थापन

मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें हरियाली के प्रतीक जौ बोएं। सोने, मिट्टी या तांबे के कलश पर स्वास्तिक बनाएं। पूजा गृह के पूर्वोत्तर भाग में विधि-विधान के साथ कलश स्थापित करें। श्रीफल, गंगाजल, चंदन, सुपारी, पान, पंचमेवा, पंचामृत आदि से पूजन करें। 'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:', 'सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वित:, मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय:' मंत्र का जाप करें।


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