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गरिमा का अधिकार दिलाने वाले सतपाल बने पाल्ली भाई

जलालाबाद (शामली) : घर में शौचालय नहीं बना था। पुरुषों के साथ महिलाओं को भी शौच के लिए ब

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 10:14 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 10:14 PM (IST)
गरिमा का अधिकार दिलाने वाले सतपाल बने पाल्ली भाई
गरिमा का अधिकार दिलाने वाले सतपाल बने पाल्ली भाई

जलालाबाद (शामली) : घर में शौचालय नहीं बना था। पुरुषों के साथ महिलाओं को भी शौच के लिए बाहर जाना पड़ता था। शर्म महसूस होती थी, लेकिन मजबूरी थी, क्योंकि आर्थिक तंगी थी और सरकार की योजना के तहत भी शौचालय नहीं बन सका। ये पीड़ा जलालाबाद के किसी एक की नहीं, बल्कि कई घरों की थी, लेकिन इनके लिए पाल्ली भाई फरिश्ता बनकर आए। सिस्टम से जंग लड़कर कई घरों में शौचालय का निर्माण कराया।

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जलालाबाद के मोहल्ला रामनगर निवासी सतपाल ऊर्फ पाल्ली निसंतान हैं। पूरे कस्बे में पाल्ली भाई के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य लोगों को गरिमा का अधिकार दिलाने का बनाया। शौचालय तो सिर्फ उदाहरण है। बताया कि कस्बे के एक व्यक्ति की बेटी की शादी थी। घर में मेहमान आने थे, लेकिन कोई शौचालय नहीं था। गरीब व्यक्ति को ¨चता सता रही थी कि मेहमान इस असुविधा पर क्या-क्या कहेंगे। मेहमानों को शौच के लिए बाहर जाने को कैसे कहेगा। ये समस्या पाल्ली के सामने आई तो उन्होंने अपने पास से शौचालय बनाने के लिए पैसे दिए। फिर, हर घर में शौचालय बनवाने की मुहिम में जुट गए। इसके लिए आवेदन कराने से लेकर नगर पंचायत में पैरवी की। अगर किसी को धनराशि नहीं मिली तो जिलाधिकारी स्तर पर शिकायत की, लेकिन संबंधित परिवारों के शौचालय बनने के बाद ही दम लिया। कस्बे के साथ पूरे क्षेत्र के लोग उन्हें पाल्ली भाई के नाम से पुकारते हैं।

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ऐसे भी आए कई मौके

कई ऐसे मौके भी आए जब किसी गरीब परिवार में मौत हो गई और परिवार के पास दाह संस्कार तक के पैसे नहीं थे। ऐसे में पाल्ली ने बिना किसी स्वार्थ के उनकी मदद की। कुछ लोगों ने बाद में पैसा लौटाना भी चाहा, पर पाल्ली ने लिए नहीं। वहीं जलालाबाद के देवतेश्वर मंदिर में भी साफ-सफाई निस्वार्थ भावना से करते हैं।

सतपाल सैनी उर्फ पाल्ली को यदि पता चल जाए कि गरीब की बेटी की शादी है तो वह बिना बुलाए उसके घर पहुंच जाते हैं। निस्वार्थ भाव से दिन-रात काम करते हैं। बिटिया को विदा कराने और कन्यादान के बाद ही वापस लौटते हैं। अगर पता चलता है कि किसी काम के लिए पैसों की कमी है तो वह उसकी हरसंभव मदद भी करता है। वह पूरे आयोजन में मौजूद रहते हैं। कहते हैं कि 'जो मैं करता हूं वह कन्यादान है। यहीं नहीं यदि किसी भी घर मौत हो जाए तो पाल्ली भाई घर पहुंचकर अंतिम संस्कार की तमाम रस्में भी पूरी कराते हैं।


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