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तालों में कैद पालिका के शौचालय

जागरण संवाददाता, शामली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छता पर जोर है, लेकिन नगर पालिका शा

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Dec 2018 10:01 PM (IST)Updated: Mon, 03 Dec 2018 10:01 PM (IST)
तालों में कैद पालिका के शौचालय
तालों में कैद पालिका के शौचालय

जागरण संवाददाता, शामली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छता पर जोर है, लेकिन नगर पालिका शामली को शायद इससे कोई सरोकार नहीं है। तभी तो शहर के सार्वजनिक शौचालय शौच के लायक नहीं हैं और जैसे भी हैं, उन पर भी ताले लटके हैं। अब लोग जाएं तो कहां।

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सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय बाजारों और स्लम एरिया में बनाए गए हैं। शौचालयों की स्थिति ये है कि कहीं पानी नहीं है तो कहीं यूरिनल में पाइप। कई जर्जर स्थित में हैं तो कुछ में सीट ही टूटी पड़ी हैं। ऐसे भी तमाम शौचालय हैं, जिन के दरवाजे पर कुंडी तक नहीं है। अगर कोई शौचालय खुला भी मिल जाए तो हाथ धोने की समुचित व्यवस्था ही नहीं है। इनकी हालत संवारने के बजाय नपा को इन पर ताला लटकाना ही ठीक लगता है। अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र ¨सह यादव का कहना है कि सफाई निरीक्षक को शौचालयों की नियमित सफाई और अन्य व्यवस्था दुरुस्त कराने के निर्देश दिए हैं। शौचालय बंद होने की बात जानकारी में नहीं है। शौचालयों की व्यवस्था को बेहतर बनाया जाएगा।

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शहर में हैं 27 शौचालय

नगर पालिका की ओर से शहर में 16 सार्वजनिक और 11 सामुदायिक शौचालय बनाए गए हैं। वैसे तो हर शौचालय में महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। साथ ही यूरिनल यानी मूत्रालय भी है। लेकिन, गंदगी हर जगह है। चाहे सामुदायिक शौचालय हो या सार्वजनिक। नगर पालिका ने कुछ शौचालयों में तो सफाई कर्मचारी तैनात किए हैं और कुछ में सफाई व्यवस्था ठेके पर है। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन समेत कुछ शौचालय में बाथरूम भी बनाया गया है।

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प्रति सीट 90 हजार का आता है खर्च

सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय के निर्माण में मोटा खर्चा आता है। अगर एक सीट का शौचालय बनाया जाता है तो करीब 90 हजार रुपये सरकार से मिलते हैं। यानी प्रतिसीट के हिसाब से इतने ही पैसा मिलता है। हालांकि, शामली में सभी शौचालय कई-कई सीट के हैं।

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कई बार चुके हैं शिकायत

कमला मार्किट के दुकानदार अशोक कुमार, अशोक जैन का कहना है कि अक्सर शौचालय बंद पड़ा रहता है। खुलता भी है तो गंदगी और बदबू के कारण जाने का मन नहीं करता। सभासद अनिल उपाध्याय का कहना है कि दयानंदनगर के शौचालय की भी कई-कई दिन बाद सफाई होती है। कई बार पालिका प्रशासन से नियमित सफाई कराने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई नहीं सुनता। शामली बस स्टैंड पर यात्री नीना कश्यप ने बताया कि कभी यहां का शौचालय साफ नहीं मिलता है। हाथ धोने के लिए साबुन भी नहीं होता है।

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यहां है सार्वजनिक शौचालय और मूत्रालय

नाला पटरी, सीएचसी, कोतवाली परिसर, भैंसवाल रोड, विश्वकर्मा पार्क, भाकूवाला मंदिर, नगर पालिका कार्यालय, कमला मार्किट, बिजली घर, अपना मार्किट, रेलपार पार्क, नौकुआं रोड, बस स्टैंड, गंगोह बस स्टैंड, टंकी रोड स्थित भीरव मंदिर, दयानंदनगर नाला पटरी।

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यहां हैं सामुदायिक शौचालय

नंदूप्रसाद मोहल्ला, बरखंडी चौक, ठेठरान मस्जिद, काजीवाड़ा, ढेवा पुल, किशन धर्मशाला, वीवी इंटर कॉलेज, राजोवाली, दिल्ली रोड स्थित मदरसा, कुरैशियान मस्जिद, पालिका क्वार्टर।


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