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ईश्वर का उपहार हैं बेटियां, न समझें बोझ

ईश्वर का उपहार हैं बेटियां न समझें बोझईश्वर का उपहार हैं बेटियां न समझें बोझईश्वर का उपहार हैं बेटियां न समझें बोझईश्वर का उपहार हैं बेटियां न समझें बोझईश्वर का उपहार हैं बेटियां न समझें बोझईश्वर का उपहार हैं बेटियां न समझें बोझ

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 09:45 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 09:45 PM (IST)
ईश्वर का उपहार हैं बेटियां, न समझें बोझ
ईश्वर का उपहार हैं बेटियां, न समझें बोझ

शामली: राष्ट्रीय बालिका दिवस पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामली में गोष्ठी आयोजित हुई। इसमें बेटे और बेटी में कोई अंतर नहीं करने के साथ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का आह्वान किया किया गया। कार्यक्रम में एएनएम के साथ ही उपचार को पहुंची महिलाएं भी शामिल रहीं।

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सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश चंद्रा ने कहा कि आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं है। बेटियां ईश्वर का अनमोल उपहार होती हैं। हमारे समाज मे बेटियों को देवी का रूप मानते हैं, लेकिन आज भी कुछ लोग गर्भ में ही इनकी हत्या कर देते हैं। हमें मिलकर समाज को जागरूक करना होगा। शामली का लिगानुपात 878 महिलाएं प्रति एक हजार पुरुष का है, जिसे संतोषजनक भी नहीं कहा जा सकता है।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति जैन ने कहा कि हम सोचते हैं कि बेटा होगा तो वह हमारे वंश को आगे बढ़ाएगा और बेटी एक दिन ससुराल चली जाएगी। इस मानसिकता को हमें बदलना होगा। साथ ही हमें बेटियों को भी वो सभी अधिकार देने चाहिएं, जो हम बेटों को देते हैं। बेटियां अभिमान होती हैं, इसलिए बोझ न समझें। बेटियों को भी पढ़ाएं और उन्हें बेटों से कम न समझें।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपम सक्सेना ने कहा कि समाज निर्माण में महिलाओं का बराबर का योगदान है। बालिका दिवस मनाना तभी सार्थक होगा, जब हम उनके बारे में सोचेंगे। बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना भी हम सभी का दायित्व है। हमें बालिकाओं को भी फैसले लेने की स्वतंत्रता देनी चाहिए। आज जागरूकता बढ़ी तो है, लेकिन इसे और बढ़ाने की जरूरत है। हम देखते हैं कि बेटे होने पर जितनी खुशी होती है, उतनी खुशी बेटी होने पर नहीं दिखती। कार्यक्रम में महिलाओं से संबंधित सरकार की योजनाओं की भी जानकारी दी गई। इस दौरान डॉ. दीपक कुमार, डॉ. विजेंद्र, डॉ. रामनिवास, हनीफ अहमद आदि मौजूद रहे।


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