गरीबों को आत्मनिर्भर बना रहे हाजी नसीम
गरीबी किसी भी इंसान के सपनों में आड़े आती हैं। यदि ²ढ़ संकल्प और कुछ कर गुजरने इच्छाशक्ति हो तो जीवन का हर मुकाम आसान हो जाता हैं।
शामली, जेएनएन। गरीबी किसी भी इंसान के सपनों में आड़े आती हैं। यदि ²ढ़ संकल्प और कुछ कर गुजरने इच्छाशक्ति हो तो जीवन का हर मुकाम आसान हो जाता हैं। विषम परिस्थितियों को खुद के अनुकूल बनाने का काम आसान नहीं है, लेकिन इरादा मजबूत हो तो फिर मुश्किल ही हार मान जाती है। यह पाठ हर मजलूम, गरीब और बेसहारा को पढ़ाने का काम यदि कोई कर रहा है तो वह शख्स हाजी नसीम मंसूरी का नाम बखूबी हरेक के जहन में उठना लाजिम है।
मूलरूप से कैराना के मोहल्ला जोड़वा के रहने वाले हाजी नसीम मंसूरी ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को रोजगार दिलाने की ठानी हैं। इसके लिए उन्होंने मुहिम की शुरूआत की हैं। जगह-जगह कॉलानियों में जाकर लोगों का हाल जानते हैं, तो रोजगार की भी बात करते हैं। कई परिवार ऐसे मिलते हैं, जो कुछ करने की चाह रखते हुए भी कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि इसमें रोडा बनी है गरीबी। ऐसे लोगों की हाजी नसीम मंसूरी मदद कर रहे हैं। वह करीब 20 महिलाओं को सिलाई मशीन मुफ्त दे चुके हैं। इसके साथ ही उन्हें घर बैठे रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं। समय-समय पर उन महिलाओं से सुख-दु:ख भी पूछते हैं। दिक्कत-परेशानी आने पर उसे दूर करने का काम किया जाता है। ऐसी कई महिलाएं और हैं, जिन्हें हाजी नसीम मंसूरी रोजगार उपलब्ध करा चुके हैं। वह कहते हैं कि गरीबी मिटाना ही उनका लक्ष्य है। हिदू-मुस्लिम दोनों समाज के लोगों की मदद से उन्होंने कभी हाथ पीछे नहीं हटाए। यही वजह है कि उनके इस जज्बे को लोग सलाम करते हैं।
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250 बच्चों को दिला रहे मुफ्त तालीम
वह शिक्षा की अलख भी जगा रहे हैं। कई बार शिक्षा की दूरी की वजह गरीबी बन जाती है, तो ऐसे करीब 250 बच्चों को हाजी नसीम मंसूरी अपनी ओर से मुफ्त तालीम दिला रहे हैं। वह उनका सारा खर्च खुद वहन करते हैं। कई बच्चे ऐसे हैं, जो बीएससी की पढ़ाई कर रहे हैं।
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अंजुमन संस्था में जुडे है 500 लोग
समाजसेवा को ही हाजी नसीम मंसूरी ने धर्म मान लिया है। 2005 से वह समाजसेवा करते चले आ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने 2015 में अंजुमन खिदमत-ए-खल्क के नाम से एक संस्था का भी रजिस्ट्रेशन कराया है, जिसमें करीब 500 लोग जुड़े हुए हैं। हाजी नसीम मंसूरी की मुहिम में ये सभी लोग सहयोग करते हैं।