महामारी को शिकस्त देने के जज्बे के साथ जुटी हैं मोनिका
कोरोना महामारी में शुरुआत से अब तक योद्धा की तरह काम किया। संक्रमितों की देखभाल हो या उनकी हिम्मत को बढ़ाना। कोरोना की जांच से लेकर टीकाकरण तक इस महामारी को शिकस्त देने के जज्बे के साथ जुटी हैं स्टाफ नर्स मोनिका। साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए खुद तो पूरी सावधानी बरतती हैं ही साथ ही दूसरों को भी जागरूक करती हैं।
जेएनएन, शामली। कोरोना महामारी में शुरुआत से अब तक योद्धा की तरह काम किया। संक्रमितों की देखभाल हो या उनकी हिम्मत को बढ़ाना। कोरोना की जांच से लेकर टीकाकरण तक इस महामारी को शिकस्त देने के जज्बे के साथ जुटी हैं स्टाफ नर्स मोनिका। साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए खुद तो पूरी सावधानी बरतती हैं ही, साथ ही दूसरों को भी जागरूक करती हैं।
कांधला क्षेत्र के कस्बा एलम निवासी मोनिका सीएचसी शामली में स्टाफ नर्स हैं। कोरोना की शुरुआत सीएचसी शामली में आइसोलेशन वार्ड बना था तो तब उनकी ड्यूटी रही थी। कोरोना का पहला मरीज यहीं पर भर्ती रहा था और मोनिका ने उनका परिवार के सदस्य की तरह देखभाल की। इसके बाद कोविड चिकित्सालय झिझाना में भी कोरोना संक्रमितों की देखभाल की। इसके बाद जिला संयुक्त अस्पताल में बने क्वारंटाइन वार्ड में भी ड्यूटी रह। जून से गांवों में कोरोना की जांच कराने की जिम्मेदारी दी गई और इसका निवर्हन भी समर्पित भाव से किया। तीन माह तक यह कार्य करने के बाद सीएचसी शामली में कोरोना जांच को सैंपल लेने का काम किया। नवंबर और दिसंबर माह में उन्होंने नवजात बच्चों की देखभाल का जिम्मा संभाला। फिर कोरोना से बचाव के लिए 16 जनवरी से टीकाकरण की शुरुआत हुई और तब से वह लगातार टीकाकरण में ड्यूटी कर रही हैं। मोनिका ने बताया कि कोरोना महामारी में अधिकारियों ने उन्हें जो भी जिम्मेदारी, उसे अच्छे से निभाना का भरसक प्रयास किया। शुरुआत में कोरोना संक्रमित काफी घबराते थे तो उन्हें हिम्मत देने का प्रयास भी किया। समझाया कि कोरोना से अधिकांश लोग पूरी तरह ठीक हो रहे हैं। जब कोरोना के सबसे पहले मरीज कैराना निवासी शाहनवाज ठीक होकर घर गए थे तो उनकी खुशी का भी ठिकाना नहीं था। शुरू से लेकर अब तक पूरी सावधानी बरत रही हैं और तभी वह संक्रमण से दूर हैं।