जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं पर भड़के नोडल अधिकारी
शामली: जिले के नोडल अधिकारी (विशेष सचिव उच्च शिक्षा) नरेंद्र शंकर पांडेय ने जिला अस्पताल (
शामली: जिले के नोडल अधिकारी (विशेष सचिव उच्च शिक्षा) नरेंद्र शंकर पांडेय ने जिला अस्पताल (सीएचसी शामली) का निरीक्षण किया और तमाम अव्यवस्थाओं के लिए सीएमओ समेत अफसरों को फटकार लगाई। चेतावनी दी कि अगर रवैया नहीं बदला तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
नोडल अधिकारी नरेंद्र ¨सह जिलाधिकारी इंद्र विक्रम ¨सह समेत प्रशासनिक अफसरों साथ करीब पौने 11 बजे जिला अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले इमरजेंसी में दाखिल हुए। रजिस्टर देखा तो सुबह से सिर्फ एक मरीज आया था। आगे बढ़े बाल रोग विशेषज्ञ के कक्ष में पहुंचे। डॉक्टर के कक्ष के बाहर भारी भीड़ थी और सुबह से तब तक सिर्फ 20 मरीज ही देखे थे। उन्हें सुस्ती पर फटकार लगाई। एक्सरे रूम में पहुंचे तो मरीजों ने शिकायत करते हुए कहा कि यहां अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। कई दिन से भटक रहे हैं, लेकिन एक्सरे नहीं हुआ। सीएमओ डॉ. राजकुमार और सीएमएस डॉ. रमेश चंद्रा ने बताया कि मरीज अधिक आते हैं, लेकिन मशीन एक ही है। इस पर नोडल अधिकारी ने एक साल की रिपोर्ट मांगी। साथ ही मरीजों की संख्या के आधार पर दूसरी एक्सरे मशीन की व्यवस्था का आश्वासन दिया। निरीक्षण के दौरान सीडीओ रेनू तिवारी, एसडीएम अर¨वद कुमार ¨सह आदि मौजूद रहे। पांच खातों में पहुंचे पैसा
जच्चा-बच्चा वार्ड में नोडल अधिकारी ने एक महिला पूछा की जननी सुरक्षा योजना के तहत लाभ मिला की नहीं। जवाब मिला नहीं। पूछें जाने पर महिला का बैंक में खाता नहीं होना कारण बताया गया। उन्होंने सीएमओ से पांच दिन पहले के डिलीवरी केस में जननी सुरक्षा का पैसा जारी करने का प्रमाण पत्र मांगा है। पर्ची के लिए लगी लाइन देख भड़के
ओपीडी में मरीजों में आपाधापी देखकर नोडल अधिकारी का पारा चढ़ गया। उन्होंने तत्काल एक और कर्मचारी की ड्यूटी पर्ची बनवाने पर लगावाई। खाली मिले वार्ड
वार्डो का निरीक्षण किया तो अधिकांश खाली थे। इस पर नोडल अधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकरियों से कहा कि अपनी मानसिकता बदलें। सीएचसी को जिला अस्पताल बनाया गया है। ओपीडी में जबरदस्त भीड़ है और वार्ड में मरीज नहीं है। इसका मतलब है ये है कि अव्यवस्थाओं के चलते मरीज यहां आना गंवारा ही नहीं समझते। जनऔषधि केंद्र का किया निरीक्षण
प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र के निरीक्षण करने पर पता चला कि यहां सिर्फ 50 प्रकार की दवा ही उपलब्ध हैं। जबकि, केंद्र पर करीब 600 प्रकार की दवा होनी चाहिए। नोडल अधिकारी ने सीएमओ से से सभी प्रकार की दवाएं उपलब्ध कराएं जाने का निर्देश दिया।