शादी समारोह और पार्टियों पर ब्रेक, उद्योगों पर मार बरकार
भले ही सरकार की लॉकडाउन चार के लिए आई नई गाइडलाइन में राहत प्रदान की गई हो लेकिन इससे व्यापारी उद्योगपति और अन्य लोग संतुष्ट नहीं है।
शामली, जेएनएन। भले ही सरकार की लॉकडाउन चार के लिए आई नई गाइडलाइन में राहत प्रदान की गई हो, लेकिन इससे व्यापारी, उद्योगपति और अन्य लोग संतुष्ट नहीं है। उद्योगों में माल के निर्माण की गति अभी पूरी तरह से रूटीन में नहीं आ सकी है। इसके पीछे शादी ब्याह की पार्टियों पर ब्रेक होने व सीमित संख्या में ही कार्यक्रम होने से माल की खपत पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रही है। यही वजह है कि जिले में फिलहाल इससे जुड़े 80 उद्योग पूरी तरह से बंद पड़े हैं, जो चल रहे हैं, उनमें भी कामगारों की कमी और बाजारों की पूरी रौनक न होने से माल नहीं निकल पा रहा है।
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के लिए बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, जिससे उद्योग बढ़ें और लोगों को रोजगार व जरूरी वस्तुओं की किल्लत महसूस न हो। कोविड-19 से बचाव के लिए लॉकडाउन में जिला प्रशासन ने शामली में उद्योगों को राहत प्रदान करते हुए फैक्ट्री चलाने की मंजूरी दी। इसमें शुरूआती दौर में 60 व धीरे-धीरे बढ़ाकर 200 उद्योग चलाना शुरू कर दिया गया। उद्योग तो शुरू हो गए, अब इनके सामने अनेक समस्याएं गई हैं। बाजारों के पूरी तरह से न खुलने से पर्याप्त माल की सप्लाई न होना तो समस्या है ही, वहीं शादी ब्याह व पार्टियों पर ब्रेक से उद्योग जगत के सामने समस्याएं आ खड़ी हुई हैं। जिला प्रशासन की नवीन गाइडलाइन में कोविड से बचाव के लिए केवल दस व्यक्ति ही शादी समारोह में भाग ले सकते हैं। ऐसे में बर्तन, आइसक्रीम समेत विभन्न सामग्री जिनका उपयोग शादियों समारोह में किया जाता है, उनकी कोई जरूरत नहीं पड़ रही है।
जिले में फिलहाल रिमधुरा, पेपर मिल, फर्टिलाइजर, टायर निर्माण के उद्योग चल रहे हैं, जबकि आइसक्रीम उद्योग से जुडे़ डिस्पोजल कप आदि के करीब 40 उद्योग पूरी तरह से बंद हैं। वहीं 40 बर्तन निर्माण करने वाले उद्योग भी पूरी तरह से बंद ही पडे़ हैं। -कामगारों की किल्लत, मुश्किल में उद्योग
कोरोना वायरस के चलते शामली जिले से भी सैंकड़ों कामगार अपने घरों को रवाना हो गए हैं। आइआइए के अध्यक्ष अशोक मित्तल ने अपनी टीम के साथ खुद डीएम जसजीत कौर से मुलाकात कर कामगारों को उनकी इच्छा के अनुसार उनके घरों को भिजवाया। अब कामगारों की किल्लत से उद्योग जूझ रहे हैं। आधे अधूरे स्टाफ से ही काम चलाया जा रहा है। इन्होंने कहा..
जिले में उद्योगों के सामने अनेक समस्याएं हैं। इनमें इन दिनों प्रमुख समस्या कामगारों की किल्लत है, क्योंकि काफी कामगार अपने घरों को चले गए हैं। वहीं शादी ब्याह व पार्टियों पर निर्भर रहने वाले उद्योग काफी संख्या में बंद पडे़ हैं। बाजार में स्टाक है, लेकिन खरीदारों के पास पैसा नहीं है। ऐसे में मुश्किल बहुत आ रही है।
- अनुज गर्ग, महासचिव आइआइए