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गांव से निकल राष्ट्रीय स्तर पर डिपल ने बनाई पहचान

शामली जेएनएन। आज बेटियां हर क्षेत्र में सफलता की कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। जिले के गांव पीरखेड़ा निवासी किसान की बेटी डिपल भी अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर कबड्डी के खेल में बड़ा नाम बन चुकी हैं। उनका चयन पिछले साल टीम इंडिया के कैंप में हुआ था।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 24 Oct 2020 07:00 AM (IST)
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गांव से निकल राष्ट्रीय स्तर पर डिपल ने बनाई पहचान

शामली, जेएनएन। आज बेटियां हर क्षेत्र में सफलता की कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। जिले के गांव पीरखेड़ा निवासी किसान की बेटी डिपल भी अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर कबड्डी के खेल में बड़ा नाम बन चुकी हैं। उनका चयन पिछले साल टीम इंडिया के कैंप में हुआ था। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में डिंपल का प्रदर्शन शानदार रहा है। अब देश के लिए खेलना उनका सपना है।

डिपल गहलोत ने वर्ष 2012 में कबड्डी खेलना शुरू किया था। एक साल बाद ही स्कूल गेम्स में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयन हो गया। दो साल के भीतर तीन नेशनल खेले और शानदार प्रदर्शन किया। इसके बाद एम्ट्यूर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एकेएफआई) की नेशनल प्रतियोगिता के लिए उत्तर प्रदेश की टीम में चयन हुआ और इसमें भी डिपल का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। 14 साल की उम्र में ही सीनियर बीच कबड्डी इंडिया कैंप में स्थान बनाया। इसके बाद यूपी से जूनियर नेशनल टीम में सलेक्शन हो गया और वर्ष 2015 में हैदराबाद में हुई प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन रहा। वह टीम में राइट कॉर्नर में खेलती हैं। डिपल ने जब कबड्डी खेलना शुरू किया था, तब वह होली चाइल्ड इंटर कॉलेज लपराना में सातवीं कक्षा की छात्रा थी और अब वह मेरठ कॉलेज बीए-तृतीय वर्ष की छात्रा हैं। कोच की मेहनत से मिली सफलता

डिपल बताती हैं कि उनकी सफलता का श्रेय कोच जबर सिंह खैवाल को जाता है। स्कूल टाइम से लेकर अब तक वहीं उनके कोच हैं और हर चुनौती से निपटने का मंत्र भी उन्हीं से मिला है। वह बताती हैं कि 'स्कूल में हुए कबड्डी के मैच में जबर सर ने खेलते देखा और कहा कि मेहनत करोगी तो बहुत आगे तक पहुंच सकती हो। मैंने हां कर दी।' तब वह कक्षा सात में थी। फिर क्या था, रविवार हो या होली, दीपावली हर दिन अभ्यास कराया। गलती करने पर डांट भी लगाई। बताया कि जबर सिंह कोच के साथ स्कूल में उनके शिक्षक भी रहे हैं।

कोच जबर सिंह ने बताया कि वर्ष 2012 में कालेज की चार टीम बनाई हुई थी। स्कूल स्तर पर ही मैच होते थे। डिपल को कबड्डी खेलकर अच्छा लगा और कहा कि स्कूल की एक टीम बनाई जाए और हम बाहर भी खेलने जाया करेंगे। इसके बाद डिपल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इनका कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि वह देश की महिला कबड्डी टीम में स्थान पक्का कर लेंगी। पिता ने दी आजादी

डिपल बताती हैं कि उनके पिता कुलदीप गहलोत एक किसान थे। उनके पिता ने उन्हें बेटों की तरह पूरी आजादी दी। कभी कोई रोक-टोक नहीं की। पिता ने साफ कह दिया था कि जिसमें दिलचस्पी हो, उसमें भविष्य बनाओ। मार्च 2020 में पिता की मृत्यु हो गई थी। अब देश के लिए खेलकर उनके सपनों को डिंपल पूरा करना चाहती हैं।