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फसलों को नुकसान पहुंचा रहे बेसहारा गोवंश, किसान परेशान

बेसहारा गोवंश की समस्या से जिले के किसान परेशान हैं। काफी गोवंश पिछले करीब ढाई साल में संरक्षित हुए हैं लेकिन बेसहारा गोवंशों की अभी भी भरमार है। दिन में तो किसान देखरेख कर लेते हैं लेकिन रात में मुश्किल आती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 11:18 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 11:18 PM (IST)
फसलों को नुकसान पहुंचा रहे बेसहारा गोवंश, किसान परेशान

शामली, जेएनएन। बेसहारा गोवंश की समस्या से जिले के किसान परेशान हैं। काफी गोवंश पिछले करीब ढाई साल में संरक्षित हुए हैं, लेकिन बेसहारा गोवंशों की अभी भी भरमार है। दिन में तो किसान देखरेख कर लेते हैं, लेकिन रात में मुश्किल आती है।

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करीब चार साल से जिले में बेसहारा गोवंश की बड़ी समस्या है। पहले जिले में सिर्फ ट्रस्ट की ओर से संचालित दो गोशाला थी। जनवरी 2019 में सरकार के निर्देश पर अस्थाई गोश्रय स्थल बनाने का काम शुरू किया था। अभियान चलाकर गोवंशों को संरक्षित किया गया है, लेकिन इसके बाद भी शहर हो या गांव, गोवंशों की संख्या कम होती नहीं दिख रही। भूख मिटाने के लिए वह खेतों में घुस जाते हैं और फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस वक्त खेतों में गन्ना, धान, ज्वार और सब्जियों की फसले हैं। तमाम किसान संगठन अनेक बार प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं। गन्ना भुगतान न होने के साथ ही गोवंशों की समस्या प्रमुख है। तारबाड़ इसलिए नहीं की गई है कि अगर उससे गोवंश घायल हुआ तो कहीं उल्टा कार्रवाई न हो जाए।

किसान खेत में घुसे गोवंशों के पीछे दौड़ते रहते हैं और उन्हें किसी तरह बाहर निकालते हैं। लेकिन कुछ देर बाद कहीं न कहीं से फिर से घुस जाते हैं। समस्या एक दिन की नहीं है तो किसान लगातार रात में पहरेदारी नहीं कर सकते हैं। हालांकि दिन में तो वह पूरा ध्यान रखते हैं।

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. यशवंत ने बताया कि जिले में दो वृहद गौ संरक्षण केंद्र और 17 अस्थाई गोश्रय स्थल चल रहे हैं। 3587 गोवंश संरक्षित हैं। पूर्व में आश्रय स्थल 35 थे। लेकिन मानक यह है कि अगर 30 से कम गोवंश रह जाते हैं तो उन्हें दूसरे आश्रय स्थल में भेज दिया जाता है। ऐसे में कई आश्रय स्थल बंद किए गए हैं। गोवंश संरक्षित कराने का कार्य लगातार हो रहा है और टैग भी लगाए जा रहे हैं।

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टैग काटकर छोड़े जा रहे गोवंश

पशुपालन विभाग उन गोवंशों को भी टैग लगा रहा है, जिनका पशुपालक पालन कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग टैग को काटकर गोवंश को बेसहारा छोड़ देते हैं। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. यशवंत ने बताया कि ऐसी शिकायत मिल रही है। लेकिन पता नहीं चल पाता है कि किसने छोड़ा है। क्योंकि टैग पर लगे नंबर को काट दिया जाता है।

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शहर में भी बड़ी समस्या

शहर में भी बेसहारा गोवंश की समस्या बड़ी है। कैराना रोड, झिझाना रोड, मुजफ्फरनगर रोड आदि पर जमावड़ा रहता है। सभासद पंकज गुप्ता, निशी रानी आदि की ओर से कई बार नगर पालिका में शिकायत की जा चुकी है। पालिका ने पशु पकड़ने के लिए कैटल कैचर वाहन भी खरीदा हुआ था।


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