बिक्री केंद्रों पर डीएपी और एनपीके उर्वरक की किल्लत
आलू बुवाई का समय चल रहा है और 10 दिन बाद गेहूं की बुवाई भी शुरू होगी। जिले में कईं समितियों पर एनपीके और डीएपी नहीं है। यूरिया की सभी जगह उपलब्धता पर्याप्त है। हालांकि कृषि विभाग का दावा है कि सभी प्रकार के उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और कमी नहीं होगी।
शामली, जेएनएन। आलू बुवाई का समय चल रहा है और 10 दिन बाद गेहूं की बुवाई भी शुरू होगी। जिले में कईं समितियों पर एनपीके और डीएपी नहीं है। यूरिया की सभी जगह उपलब्धता पर्याप्त है। हालांकि कृषि विभाग का दावा है कि सभी प्रकार के उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और कमी नहीं होगी।
शरदकालीन गन्ने की बुवाई करीब-करीब हो चुकी है, जिसमें यूरिया की आवश्यकता अधिक है। लेकिन आलू व सरसों में एनपीके और डीएपी की जरूरत काफी होती है। सहकारी गन्ना विकास समिति शामली के गोदामों में एनपीके और डीएपी बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे में किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रभारीअशोक कुमार ने बताया पीसीएफ जसाला से उर्वरक की आपूर्ति होती है। हालांकि साधन सहकारी समिति जलालाबाद और अंबेहटा याकूबपुर में एनपीके-डीएपी उपलब्ध है।
आलू की काफी खेती इसी क्षेत्र में होती है तो यहां किसानों को उर्वरक मिल रहा है। गेहूं की बुवाई नवंबर के पहले सप्ताह से शुरू होगी और तब एनपीके, डीएपी और पोटाश की मांग और बढ़ेगी। साधन सहकारी समिति बल्ला माजरा के कैडर सचिव देवेंद्र कुमार का कहना है कि शनिवार को ही डीएपी खत्म हुआ है और शाम तक आ जाएगा। क्षेत्र के किसानों को एनपीके की जरूरत नहीं है तो मंगाया भी नहीं जाता है।
जिला कृषि अधिकारी डा. हरीशंकर ने बताया कि सहकारिता में बिक्री केंद्र पर यूरिया 2109, बफर में 3161 और डीएपी बिक्री केंद्र पर 1208 और बफर में 996 मीट्रिक टन है। एनपीके बिक्री केंद्र पर 127 और बफर में 760 मीट्रिक टन उपलब्ध है। दावा है कि उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। अगर किसी बिक्री केंद्र पर खत्म हो गया है और जरूरत है तो उपलब्ध कराया जाएगा। जिले में करीब 300 दुकान हैं। 29 सहकारी समिति हैं और गन्ना समितियों के 17 उर्वरक गोदाम हैं। जिले में कुल उपलब्धता की बात करें तो यूरिया 5878 मीट्रिक टन यूरिया, 2824 मीट्रिक टन डीएपी, 981 मीट्रिक टन एनपीके है।
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समय से बुवाई और बीज उपचार
कृषि विज्ञान केंद्र शामली के वैज्ञानिक डा. विकास मलिक ने बताया कि गेहूं की बुवाई का समय पांच नवंबर से 15 दिसंबर तक माना जाता है। अच्छी पैदावार के लिए नवंबर तक बुवाई करना बेहतर होता है। किसान अच्छी प्रजाति के बीज का चुनाव करें और ध्यान रखें कि उपचारित बीज की ही बुवाई करें। उपचारित होने के बाद फसल में रोग आने की आशंका बहुत कम होती है। गेहूं में बुवाई के वक्त डीएपी की आवश्यकता होती है। बुवाई के करीब 20 दिन बाद यूरिया की आवश्यकता होती है।
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किसानों को समय पर पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता है। कभी यूरिया तो कभी डीएपी नहीं मिलता है।
-चरण सिंह, पठानपुरा किसान तो पहले ही तमाम कारणों से परेशान है। किसानों को जरूरत होने पर उर्वरक भी नहीं मिल रहा तो इसका जिम्मेदार कौन है।
-अनमोल, पंजीठ उर्वरकों के दाम लगातार बढ़ाए जा रहे हैं। इसके बाद भी किल्लत बनी हुई है। समय से उर्वरक न मिलने के कारण फसल प्रभावित होती है।
-ईनाम, मलकपुर
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