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शाबाश! तुम्हारे ऐसे ही साथ से कोरोना से जीत जाएंगे हम

शामली शहर के वो चौक-चौराहे जो कभी इतने शांत नहीं होते थे। इन गलियों-चौराहों पर जाम का झाम रहता था। अब दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा है। इसके पीछे गहरी शिद्दत है। ये गलियों ये चौराहे इन दिनों जितनी ज्यादा वीरानी होगी वह उतना ही इस महामारी और जिदगी की जंग में इंसानी जीत की निशानी होगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 10:46 PM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 10:46 PM (IST)
शाबाश! तुम्हारे ऐसे ही साथ से कोरोना से जीत जाएंगे हम

शामली, जागरण टीम। शामली शहर के वो चौक-चौराहे, जो कभी इतने शांत नहीं होते थे। इन गलियों-चौराहों पर जाम का झाम रहता था। अब दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा है। इसके पीछे गहरी शिद्दत है। ये गलियों, ये चौराहे इन दिनों जितनी ज्यादा वीरानी होगी, वह उतना ही इस महामारी और जिदगी की जंग में इंसानी जीत की निशानी होगी। जैसे-जैसे रोजाना ये चौराहे सुनसान होंगे तो मेड इन चाइनीज वायरस कोरोना अपने आप खत्म हो जाएगा। शामली की जनता प्रशासन की अपील पर अपने और परिवार के लिए घरों से बाहर नहीं निकलेंगे।

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दरअसल, इन दिनों देश में कोरोना महामारी फैल रही है। घबराएं नहीं। कुछ दिनों तक इससे बड़ी सावधानी बरतनी होगी। इसी के चलते देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर शासन-प्रशासन कई बार लोगों से घरों में रहने की अपील कर चुके हैं। डीएम के आदेश पर चल रहे साप्ताहिक लाकडाउन के दौरान शामली के लोगों ने पूरे जिले को बंद कर सहयोग दिया है। रविवार को शामली में साप्ताहिक लाकडाउन का दूसरा दिन था। शहर में सुबह से शाम तक एक भी आदमी देखने को नहीं मिला। कोई बाहर आ भी रहा था तो केवल दवाई लेने के लिए। कुछ दिन पूर्व तक शामली में जाम के झाम के नाम से प्रसिद्ध मुख्य चौराहे फव्वारा चौक, धीमानपुरा फाटक, बुढ़ाना रोड़, वर्मा मार्केट, बड़ा बाजार समेत अन्य मार्ग भी रविवार को सुनसान पड़े रहे। कोई दिखा तो लोगों की सुरक्षा में तैनात पुलिस की गाड़ी, साफ-सफाई करने के लिए सफाईकर्मी और इन सबकी कवरेज करने के लिए मीडियाकर्मी। बीच-बीच में इक्का-दुक्का नागरिक इन चौराहों पर दिख रहा था। कोई परिवार के लोगों के लिए दवाई लेने के लिए या बहुत घरेलू बहुत सामान लेने घर से निकला था। चेहरे पर मास्क था और कदम गंतव्य की ओर तेजी से बढ़ रहे थे। रास्ते में कई जगह पुलिस भी तैनात थी। हर आने-जाने वाले से सवाल भी कर रही थी। कोई वाहन गुजरता तो उसे रोक रही थी। गैर जरूरी कारण से निकला था तो उसे वापस भेज रही थी। लहजा सख्त था। ऐसा करना मजबूरी थी और जरूरी भी। इसके पीछे कोशिश यही थी कि इन चौक-चौराहों पर कोई ऐसा इंसान दिखाई ही न दे, जो गैर जरूरत में घर से बाहर आया हो। ये चौराहे इसी तरह सन्नाटे के साये में रहे। हर इंसान अपने घरों में रहे। एक-दूसरे से तब तक दूरी बनाए रखें, जब तक ये मेड़ इन चाइनीज कोरोना वायरस का प्रकोप भारत से खत्म ना हो जाए।


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