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पत्नी व छोटे बेटे पर की सख्ती तब पुलिस की गिरफ्त में आए डॉक्टर

जेएनएन शाहजहांपुर डॉक्टर अनिल राज ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हरसंभव कोशिश की। नेताओं की पैरवी से लेकर अपने परिचित अधिकारियों तक से मदद मांगी लेकिन कोई पैंतरा काम न आया। मोबाइल बंद होने के बाद बीस दिन से खाली हाथ घूम रही पुलिस ने किरकिरी से बचने के लिए डॉक्टर की पत्नी व छोटे बेटे पर सख्ती की तो वह भी गिरफ्त में आए। 12 मई के बाद से डॉ. अनिल राज के मोबाइल फोन बंद थे। जिस कारण सर्विलांस से भी उनकी लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में पुलिस उनके गृह जनपद लखीमपुर के अलावा लखनऊ व रिश्तेदारों के घर तक ही जा रही थी। सोमवार को लखीमपुर में डॉक्टर की पत्नी व बेटे पर जब सख्ती हुई तो जानकारी डॉक्टर तक पहुंच गई। किसी तरह पुलिस तक इसकी सूचना पहुंची और वह सीतापुर में गिरफ्तार कर लिए गए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 11:21 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 11:21 PM (IST)
पत्नी व छोटे बेटे पर की सख्ती तब पुलिस की गिरफ्त में आए डॉक्टर
पत्नी व छोटे बेटे पर की सख्ती तब पुलिस की गिरफ्त में आए डॉक्टर

जेएनएन, शाहजहांपुर : डॉक्टर अनिल राज ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हरसंभव कोशिश की। नेताओं की पैरवी से लेकर अपने परिचित अधिकारियों तक से मदद मांगी, लेकिन कोई पैंतरा काम न आया। मोबाइल बंद होने के बाद बीस दिन से खाली हाथ घूम रही पुलिस ने किरकिरी से बचने के लिए डॉक्टर की पत्नी व छोटे बेटे पर सख्ती की तो वह भी गिरफ्त में आए। 12 मई के बाद से डॉ. अनिल राज के मोबाइल फोन बंद थे। जिस कारण सर्विलांस से भी उनकी लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में पुलिस उनके गृह जनपद लखीमपुर के अलावा लखनऊ व रिश्तेदारों के घर तक ही जा रही थी। सोमवार को लखीमपुर में डॉक्टर की पत्नी व बेटे पर जब सख्ती हुई तो जानकारी डॉक्टर तक पहुंच गई। किसी तरह पुलिस तक इसकी सूचना पहुंची और वह सीतापुर में गिरफ्तार कर लिए गए। बेटी के घर छोड़ी कार, रिश्तेदारो के घर शरण

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डॉ. अनिल राज किसी एक स्थान पर नहीं रुके। पहले वह बेटे अभिषेक के साथ कार से लखनऊ बेटी व दामाद के पास गए। एक दिन वहां रुकने के बाद कार वहीं छोड़ दी। उसके बाद दूसरे वाहन से लखनऊ, फैजाबाद, प्रयागराज सहित कुछ अन्य जिलों में अपने परिचितों व रिश्तेदारों के घर रुकते रहे। अर्जी खारिज होने के बाद हाईकोर्ट का था सहारा

गिरफ्तारी से बचने के लिए डॉ. अनिल राज ने अपनी व अपने बेटे की अग्रिम जमानत की अर्जी के लिए सत्र न्यायालय में अर्जी दी थीं, जो खारिज कर दी गईं थीं। इसके बाद से वह वकीलों के संपर्क में थे, ताकि हाईकोर्ट से किसी तरह गिरफ्तारी पर स्टे ला सकें, लेकिन उससे पहले पुलिस उन तक पहुंच गई। बैरक नंबर एक में किया बंद

कोर्ट में पेश करने के बाद डॉ. अनिल राज को अस्थायी जेल ले जाया गया। जहां उनकी कोरोना की जांच कराने के बाद बैरक नंबर एक में बंद किया गया। उनके रिश्तेदार मेडिकल स्टोर संचालक रविद्र भारती जिला जेल में बंद हैं। वह जेल में इमरजेंसी होने या गंभीर मरीज मिलने पर उपचार करने जाते थे। 13 सालों से जिले में है तैनात

डॉ. अनिल राज जिले के सरकारी अस्पताल में 13 सालों से तैनात है। उन पर कई बार बाहर के मेडिकल स्टोर से महंगी दवाएं लिखने का आरोप लग चुका है। इसके अलावा कई संगठन के सदस्य धरना प्रदर्शन से लेकर पुतला तक फूंक चुके थे। लेकिन हर बार डॉक्टर जांच में बचते रहे। तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट ने भी उन्हें आवास पर मरीजों का उपचार करते पकड़ा था। तत्कालीन डीएम अमृत त्रिपाठी ने भी कार्रवाई को लेकर अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी थी। नोटिस का नहीं दिया जवाब

बिना सूचना दिए ड्यूटी से गायब रहने पर 15 मई को सीएमएस डॉ. एयूपी सिन्हा ने उनके सरकारी आवास पर नोटिस चस्पा कराया था। लेकिन उसके बाद भी न डॉक्टर ने अधिकारियों को सूचना दी और न ही उनके स्वजन ने। ऐसे में पांच दिन पहले कार्रवाई के लिए डीजी हेल्थ को भी पत्र भेजा गया। इसके अलावा डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने निलंबन की संस्तुति रिपोर्ट शासन को भेजी है। जिस पर एक से दो दिन में ही कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।

पैरवी के लिए पहुंचा पांच बार फोन

डॉक्टर की गिरफ्तारी के बाद लखीमपुर व शाहजहांपुर के कई नेताओं के माध्यम से पुलिस के अधिकारियों पर दबाव बनाने का भी प्रयास किया गया। सोमवार रात से मंगलवार सुबह तक पुलिस अधिकारियों के पास पांच बार फोन किए गए। लेकिन अधिकारियों ने किसी तरह राहत देने से साफ तौर पर मना कर दिया। पकड़े जाने के बाद डॉक्टर पुलिस विभाग में अपने परिचितों के बारे में बताते रहे। बोले जिले में तैनात एक एसओ ने अपने बहनोई को मिर्जापुर जिले से यहां बुलाकर उनसे उपचार कराया था।


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