आरोपितों ने अपने दस्तावेजों पर भाइयों की लगवा दी नौकरी
सेना में फर्जी अभिलेखों पर भर्ती मामले में कुछ और जानकारियां सामने आई हैं। पुलिस को ऐसे लोग भी मिले हैं। जिन्होंने अपनी मार्कशीट पर अपने भाइयों को सेना में भर्ती करा दिया। उनके पते व अन्य अभिलेख भी फर्जी तरीके से तैयार करा दिए। हालांकि रिमांड पर लेने के बाद भी पुलिस आरोपितों को अपनी कस्टडी में नहीं ले सकी है। इसलिए जांच व कार्रवाई बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई है।
जेएनएन, शाहजहांपुर : सेना में फर्जी अभिलेखों पर भर्ती मामले में कुछ और जानकारियां सामने आई हैं। पुलिस को ऐसे लोग भी मिले हैं। जिन्होंने अपनी मार्कशीट पर अपने भाइयों को सेना में भर्ती करा दिया। उनके पते व अन्य अभिलेख भी फर्जी तरीके से तैयार करा दिए। हालांकि रिमांड पर लेने के बाद भी पुलिस आरोपितों को अपनी कस्टडी में नहीं ले सकी है। इसलिए जांच व कार्रवाई बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई है।
मंगलवार रात छापे में पकड़े गए पांच आरोपितों में गाजियाबाद के भोजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मुकीमपुर निवासी परमवीर व उसके पिता हुकुम सिंह भी शामिल थे। परमवीर ने पुलिस को बताया कि भाई हरविदर सिंह उसके नाम व शैक्षिक दस्तावेजों के माध्यम से सेना में भर्ती हुआ और इस समय आंध्र प्रदेश में ट्रेनिग कर रहा है। भाई का चरित्र सत्यापन कराने के लिए उसने गिरफ्तार मुख्य सरगना सुरेश सोम को 12 हजार रुपये दिए थे। वह पिता के साथ भाई के अभिलेखों का पुलिस सत्यापन कराने के लिए बंडा आया था। कागजात सिपाही मूलचंद्र ने तैयार कराकर दिए थे। जो उसके गांव के पास का रहने वाला है। हापुड़ के पिलखुवा के गांव बझेड़ा निवासी मुकेश कुमार ने बताया कि उसका भाई जिसका सही नाम धर्मेंद्र राणा है, वह कल्याण सिंह के नाम से फर्जी मार्कशीट बनवाकर शाहजहांपुर के बंडा थाना के पटेल नगर के फर्जी पते व आधार कार्ड से निवास प्रमाण पत्र बनवाकर सेना में भर्ती हुआ। उसका भाई बेंगलुरु में ट्रेनिग कर रहा है। मूल निवास व प्रधान की सत्यापन रिपोर्ट हापुड़ के धौलाना के ग्राम ककराना निवासी अरविद ने तैयार करके दी थी। भाई का चरित्र सत्यापन कराने के लिए उसने सिपाही मनवीर को 52 हजार रुपये दिए, जिसमें 42 हजार नकद व दस हजार गूगल पे से दिए थे। पुलिस ने जांच के लिए उसका मोबाइल भी जब्त कर लिया गया।
प्रधान ने कराई तस्दीक
आरोपितों के पास से अलग-अलग जिलों के थाना प्रभारियों, नगर पालिका व नगर पंचायत ईओ, शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मुहर बरामद हुई हैं। उनके पास बंडा की ग्राम प्रधान के साइन से जारी कई निवास प्रमाण पत्र, मोहर भी मिले। बंडा की प्रधान साबरी ने साइन, मोहर फर्जी बताए।
जल्द लेंगे रिमांड
सभी आरोपितों को शाहजहांपुर की अस्थायी जेल में रखा गया है। पुलिस को आरोपितों की कोर्ट से 18 नवंबर तक की रिमांड भी मिल चुकी है, लेकिन उन्हें कस्टडी में नहीं लिया जा सका। जांच अधिकारी सीओ पुवायां नवनीत नायक ने बताया कि शनिवार या रविवार तक आरोपित को रिमांड पर ले लिया जाएगा। पूछताछ में कई और अहम राज खुल सकते हैं।
कई जिलों में फैला नेटवर्क, पूछताछ में खुलेंगे राज
शाहजहांपुर : फर्जीवाड़ा करने वालों गिरोह का नेटवर्क शाहजहांपुर ही नहीं आसपास के कई जिलों तक फैला है। इनसे पूछताछ में अभी कई और चेहरे सामने आना बाकी हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से बरामद अभिलेखों व मोहर के आधार पर पुलिस संबंधित जिलों में इनके लिक तलाशने में जुट गई है। पुलिस को मंगलवार रात की गई कार्रवाई के दौरान मौके पर बरेली के थाना बहेड़ी, शाही, सीतापुर के सिधौली, बदायूं के बिसौली, सिविल लाइन, शाहजहांपुर के बंडा, हरदोई के बघौली, संभल के चंदौसी, बनिया ठेर, पीलीभीत के पूरनपुर के थाना प्रभारियों की मोहरें मिलीं थीं। डीआइओएस मेरठ, गाजीपुर, एसडीएम गाजियाबाद, नगर पंचायत अधिकारी नगर पंचायत सदर गाजियाबाद, सह जिला विद्यालय निरीक्षक अलीगढ़, बरेली के फतेहगंज पश्चिमी की ग्राम पंचायत दौली के ग्राम पंचायत अधिकारी समेत कई अन्य की मोहरें भी बरामद हुईं। मौके पर खीरी, बरेली, बदायूं, संभल, बुलंदशहर, कन्नौज, सीतापुर के युवकों की हाईस्कूल की मार्कशीट, निवास, जाति प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज मिले हैं ।
इन मोहरों को किनसे बनवाया गया। प्रमाण पत्र कहां तैयार कराए जाते थे। मार्कशीट के फर्जीवाड़े में कौन-कौन लोग शामिल हैं। यह सब पुलिस की जांच में सामने आएगा। जिन अधिकारियों व प्रधानों की मोहर बरामद हुई हैं। उनसे भी पुलिस पूछताछ करेगी।