तुर्की ने बसा लिया बिस्मिल जिला, अपने शहर में संग्रहालय तक नहीं
शहर का खिरनीबाग मुहल्ला..। यहां कालीबाड़ी मंदिर के सामने तंग गलियों में स्थित है क्रांतिकारी शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का घर।
अंबुज मिश्र, शाहजहांपुर : शहर का खिरनीबाग मुहल्ला..। यहां कालीबाड़ी मंदिर के सामने तंग गलियों में स्थित है क्रांतिकारी शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का घर। वह बिस्मिल, जिनके नाम पर देश के विभिन्न शहरों में संग्रहालय बने हुए हैं। तुर्की में उनके नाम पर शहर बसा हुआ है, पर उनके घर की कोई सुध नहीं ले रहा। बिस्मिल के शहीद होने के बाद अब उस घर में दूसरे लोग रहते हैं। इसे संग्रहालय बनाने की मांग तो उठी थी मगर आगे नहीं बढ़ सकी। योग गुरु बाबा रामदेव व केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह भी सिर्फ वादे तक ही सीमित रहे। इस तरह बिका यह मकान
100 गज से भी कम दायरे वाले जिस मकान में रामप्रसाद बिस्मिल रहा करते थे, अब जर्जर हो चुके उस मकान में रहने वाले रविशंकर से मुलाकात हुई। बोले कि इस घर को उनके बाबा नारायण लाल ने करीब 70 वर्ष पहले खरीदा था। रविशंकर के पिता राजाराम व बाबा नारायण लाल अब जीवित नहीं हैं। इस घर में रविशंकर, राजाराम के भाई रामकुमार, अरविद, शिवकुमार परिवार के साथ रह रहे हैं। बताया जाता है कि बिस्मिल के शहीद होने के बाद उनकी बहन शास्त्री देवी काफी समय तक इस मकान में रहीं। उन्होंने आर्थिक जरूरत में विद्याराम नाम के व्यक्ति को यह घर बेचा। विद्याराम ने एक दूसरे परिवार को घर दे दिया। उस परिवार ने नारायण लाल के नाम बैनामा कर दिया।
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दूसरा ठिकाना भी तो मिले
रविशंकर प्राइवेट नौकरी करते हैं। बताते हैं कि उनसे मकान खरीदने का कई लोगों ने प्रस्ताव दिया, लेकिन किसी ने ठोस बात नहीं की। कभी कोई कहता है कि प्लाट दे देंगे तो कोई दूसरा आश्वासन देता है। महंगाई है, चार परिवार अगर कहीं मकान खरीदेंगे तो अच्छी खासी रकम खर्च हो जाएगी। देश में बने हैं स्मारक व स्टेशन
बिस्मिल के नाम पर देश में कई स्मारक बने हैं। बिस्मिल मूलरूप से मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के रहने वाले थे। वहां उनके नाम पर म्यूजियम बना हुआ है। इसी तरह ग्रेटर नोएडा में स्मारक बना है। गोरखपुर की जिस जेल में बिस्मिल को फांसी दी गई। वहां उनके नाम का स्मारक बना हुआ है। जिले में रोजा व कहिलिया स्टेशन के बीच पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर रेलवे स्टेशन बनाया गया है। शहर में विभिन्न स्थानों पर मूíतयां लगी हैं। तुर्की में बसा शहर
तुर्की के पहले राष्ट्राध्यक्ष कमाल पाशा रामप्रसाद बिस्मिल से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने उनके नाम पर जिला ही बसा दिया। उस जिले के अंदर शहर भी है, जिसका नाम है बिस्मिल शहर। तुर्की के दियारबाकिर राज्य में स्थित यह शहर आज अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां कई पार्क व घूमने के स्थान हैं। दियारबाकिर शब्द का अर्थ है बागियों का स्थान। यह जिला राज्य के दक्षिण पूर्व में आनातोलिया जगह पर है।
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बिस्मिल का परिचय :
- नाम - पंडित रामप्रसाद बिस्मिल
- माता मूलमती
- पिता मुरलीधर
- जन्म - 11 जून 1897
- शहीद - 19 दिसंबर 1927
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नौ अगस्त को हुआ था काकोरी कांड
नौ अगस्त 1925 को शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन से बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां, राजेन्द्र लाहिड़ी, चंद्रशेखर आजाद, शचीन्द्रनाथ बख्शी, मन्मथनाथ गुप्त आदि डाउन लाइन की सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन में सवार हुए। लखनऊ से पहले काकोरी रेलवे स्टेशन पर रुककर जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ी, क्रांतिकारियों ने चेन खींचकर उसे रोक लिया और गार्ड के डिब्बे से सरकारी खजाने का बक्सा नीचे गिरा दिया। इस घटना ने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दीं थीं। इसमें पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां व ठाकुर रोशन सिंह को 19 दिसंबर 1927 को अलग-अलग जेलों में फांसी दी गई थी।
अशफाक व रोशन सिंह की ली सुध
काकोरी कांड के दूसरे शहीद अशफाक उल्ला खां का घर शहर के जलालनगर मुहल्ले में स्थित है। उनकी मजार का 65 लाख रुपये की लागत से सुंदरीकरण कराया गया है। वहीं तीसरे शहीद ठाकुर रोशन सिंह के गांव खुदागंज के नवादा दरोवस्त में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहुंचकर डिग्री कालेज, इंटर कालेज की सौगात देने के साथ ही कई कार्य कराए थे।