कृषि आधारित उद्योग में नवाचार, वस्त्र निर्माणी का नहीं उपचार
जनपद में पांच चीनी मिलों समेत आठ कृषि आधारित वृहद उद्योग है। एशिया में बासमती चावल से पहचान बनाने वाली सुखवीर एग्रो शाहजहांपुर की नई पहचान बनकर उभरी है।
जेएनएन, शाहजहांपुर : जनपद में पांच चीनी मिलों समेत आठ कृषि आधारित वृहद उद्योग है। एशिया में बासमती चावल से पहचान बनाने वाली सुखवीर एग्रो शाहजहांपुर की नई पहचान बनकर उभरी है। कृषि अपशिष्ट पदार्थाें पर आधारित केआर पेपर मिल, स्थानीय उद्योगपतियों की नवाचार सोच व कर्मठता की कहानी बयां कर रही है। रिलायंस समूह की रोजा तापीय परियोजना की स्थापना से उद्योग की दृष्टि से जनपद के महत्व को राष्ट्रीय क्षितिज पर भलीभांति महसूस किया जा सकता है। 80 के दशक में किसानों की खुशहाली के लिए पिपरौला में स्थापित यूरिया खाद कारखाना वर्तमान में सहकारिता की मदद से नए आयाम स्थापित कर रहा है। लेकिन इन सबसे के बावजूद वृहद उद्योगों की समस्याएं बनी हुई है।
संकट से जूझ रही आयुध वस्त्र निर्माणी
- 1914 में स्थापित आयुध वस्त्र निर्माणी की दशा दयनीय हुई है। नई भर्ती पर रोक के साथ ही सेना में वस्त्रों की आपूíत कम होने से कर्मचारियों के भविष्य पर संकट है। बिजली की डिमांड घटने से रोजा तापीय परियोजना में सर्दी के दिनों में कई माह तक विद्युत उत्पादन भी कम हो रहा है।
चीनी मिलों की स्थिति सुधरी, किसानों की नहीं
चार साल में चीनी परता 9 से 12.5 फीसद बढ़ गया है। इससे चीनी मिलों की स्थिति में तो सुधार आया, लेकिन किसानों की स्थिति जस की तस है। उनका पुराने सत्र के गन्ना मूल्य तक का भुगतान नहीं हो सका। बकाया भुगतान रोकने पर किसानों को ब्याज भी नहीं मिल पा रहा है। मध्यम व बड़े उद्योग के लिए सरकार के पास जमीन नहीं है। फर्म के नाम खरीदने की बाध्यता है। उद्योग न लग पाने पर बैंक गारंटी से रिकवरी हो जाती है। ब्याज भी 9 फीसद से अधिक देना पड़ता है। बिजली की दरें अन्य प्रदेशों के सापेक्ष अधिक है। जबकि गुजरात सरीखे प्रांतों में शासन, प्रशासन भरपूर मदद करता है। यही वजह है कि इन्वेस्टर मीट में किए गए आवेदन भी एक दो को छोड़ धरातल पर साकार रूप नहीं ले सके। सरकार को उद्योग हित का वातावरण सृजित कर विश्वास अíजत करना चाहिए। दस वर्ष तक नए उद्योगों को विशेष रियायत मिले, ताकि लघु उद्योग भी वृहद रूप ले सके।
अशोक अग्रवाल - राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आइआइए रोजा और जमौर स्थित औद्योगिक परिक्षेत्र में सड़कों की मरम्मत नहीं हुई। बिजली की दरें बहुत बढ़ गई हैं। इंसेपेक्टर राज से उद्योगों को निजात नहीं मिल पा रहा। सरकार को उद्योगों को टैक्स, ब्याज में विशेष राहत देनी चाहिए।
सुरेश सिघल, उद्यमी नए उद्योगों की स्थापना में अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता। शासन प्रशासन को नए उद्योगों में मदद, प्रोत्साहन के साथ बंद इकाइयों के शुभारंभ में विशेष राहत योजना शुरू करनी चाहिए।
अभिनव ओमर, उद्यमी छह उद्यमियों ने उद्योग के लिए मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में आवेदन किया था। तीन उद्योग स्थापित हो चुके हैं। एक ने मना कर दिया है। दो और उद्योग स्थापित हो जाएगा। जमौर औद्योगिक क्षेत्र में 139 रिक्त भूखंड रिक्त पड़े है। राज्य औद्योगिक विकास कारपारेशन से इन्हें किया जा सकता है। यूपीएसआइडीसी ने औद्योगिक क्षेत्र के सेपरेट फीडर के लिए जमीन भी दी है। एमडी मध्यांचल से बात कर जल्द फीडन बनवाया जा रहा है। रोजा औद्योगिक क्षेत्र में सड़क निर्माण के तीन करोड़ 83 लाख का बजट आंवटित कर दिया गया है।
सुरेश कुमार गुप्ता, सहायक उपायुक्त उद्योग उद्योगों के किसान हितों का भी सरकार रखे ध्यान
जनपद में 80 फीसद उद्योग कृषि आधारित है। चार साल में चीनी परता 9 से बढ़कर 12.5 फीसद हो गया। लेकिन किसानों को गत वर्ष का भुगतान तक नहीं मिला। रंगराजन समिति ने चीनी परता के आधार पर गन्ना मूल्य भुगतान की सिफारिश की, जिसे लागू करना चाहिए। पराली समेत फसल अपशिष्ट से जुड़े उद्योग लगे, इससे किसानों की अतिरिक्त आय बढ़ेगी, पर्यावरण संरक्षण होगा।
महेंद्र सिहं यादव, जिलाध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन फैक्ट फाइल
- 10 वृहद उद्योग है जिले में
- 200 लघु उद्योग 4 हजार औद्योगिक इकाइयां कृषि आधारित
- 5 हजार इकाइयां जिले में पंजीकृत
- 4 हजार कृषि आधारित इकाइयां
- 3.83 करोड़ औद्योगिक परिक्षेण में सड़क निर्माण को मिले।
- यूपीएसआइडीसी ने सेफरेट बिजली फीडर के लिए पीसीएल को जमीन दी।
- 6 इन्वेस्टर ने सीएम समिट में आवेदन किए, पांच उद्योग प्रगति पर
- 139 भूखंड जमौर औद्योगिक परिक्षेत्र में रिक्त