Move to Jagran APP

फसल अपशिष्ट से मिलती मृदा को संजीवनी, बढ़ती उपज

फसल अपशिष्ट में मृदा की सेहत व पैदावार वृद्धि का राज छुपा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 11:53 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 06:05 AM (IST)
फसल अपशिष्ट से मिलती मृदा को संजीवनी, बढ़ती उपज

जेएनएन, शाहजहांपुर : फसल अपशिष्ट में मृदा की सेहत व पैदावार वृद्धि का राज छुपा है। जानकर ताज्जुब होगा कि एक टन पराली को खेत में सड़ाने से मृदा को 5.5 किग्रा नाइट्रोजन, 2.3 किग्रा फास्फोरस तथा 25 किलो पोटेशियम की प्राप्ति होती है। इसी तरह गेहूं की नरई व गन्ना की पताई में भी सामान्य के साथ बड़ी मात्रा में मृदा को पोषक तत्व मिल जाते हैं। इससे उर्वराशक्ति वृद्धि के साथ मृदा में जलधारण की क्षमता भी बढ़ जाती है। जबकि पराली समेत फसल अपशिष्ट जलाने पर पर्यावरण प्रदूषित होता है और मृदा के असंख्य मित्र कीट मर जाते हैं।

loksabha election banner

13 किसान बने आइकॉन

फसल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए तमाम उपकरण भी लांच किए गए है। 60 से 80 फीसद अनुदान पर मिलने वाले इन उपकरणों को जनपद के 13 किसानों ने खरीदकर खेती में नए अध्याय की शुरूआत की है। तमाम किसान फसल अपशिष्ट की पैकिग कर उन्हें जानवरों के चारा के रूप में प्रयोग कर रहे तो तमाम लोग जरूरत के अनुरूप खेत में मिलाकर मृदा की सेहत संवार रहे हैं।

अपशिष्ट प्रबंधन से बढ़ता है धरा का हीमीग्लोबिन

खेत में फसल अपशिष्ट सड़ाने पर मृदा में कार्बनिक पदार्थ बढ़ जाते है। मृदा के लिए कार्बनिक पदार्थ शरीर में हीमोग्लोबिन की तरह काम करते हैं। खेत में ही पराली व नरई के सड़ा देने पर 0.1 फीसद तक कार्बनिक पदार्थ बढ़ जाते हैं। नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आदि समेत सूक्ष्म पोषक तत्व भी बढ़ जाते हैं।

डा. सतीश चंद्र पाठक, जिला कृषि अधिकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.