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शहर की बेटी ने क्रासिंग द लाइन फिल्म में उकेरा विभाजन की त्रासदी का दर्द

शाहजहांपुर की बेटी ने क्रासिंग द लाइन फिल्म में उकेरा भारत विभाजन की त्रासदी का दर्द

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 11:21 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 11:21 PM (IST)
शहर की बेटी ने क्रासिंग द लाइन फिल्म में उकेरा विभाजन की त्रासदी का दर्द

शहर की बेटी ने क्रासिंग द लाइन फिल्म में उकेरा विभाजन की त्रासदी का दर्द

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नरेंद्र यादव, शाहजहांपुर : आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में सभी शहरों में चित्र प्रदर्शनी लगाई गई हैं। पाकिस्तान के दादू शहर से पलायन कर परिवार के साथ शाहजहांपुर पहुंचे ईश्वर चंद कक्कड़ की बेटी अनिता बरार आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाकर बलिदानियों को श्रद्धांजलि दे रही हैं। वह भी भारत विभाजन विभीषिका की व्यथा को बयां करने वाली क्रासिंग द लाइन वृत्तचित्र फिल्म प्रदर्शन के साथ...। करीब तीन वर्ष पूर्व अनिता ने इस फिल्म का निर्माण किया। अब तक कई देशों में प्रदर्शित फिल्म को सराहना मिल चुकी है। विभाजन स्मृति दिवस पर इस फिल्म का सिडनी में प्रदर्शन किया जा रहा है। रेल कर्मी ईश्वर चंद कक्कड़ चार बेटों के साथ पाकिस्तान के दादू शहर से दिल्ली पहुंचे। करीब डेढ़ माह शरणार्थी शिविर में रहे। शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर नियुक्ति मिलने पर उन्होंने लाला तेली बजरिया में मकान बना लिया। यहां बेटी सरोज व अनिता का जन्म हुआ। अनिता ने आर्य कन्या स्कूल से इंटर, जीएफ कालेज से बीएससी तथा आगरा विश्वविद्यालय से परास्नातक की पढ़ाई की। बैंक कर्मी बहन सरोज की प्रेरणा पर अनिता ने बैंक में नौकरी कर ली। इंडियन आयल कारपोरेशन अधिकारी वीरेंद्र बरार से शादी के बाद वह आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में बस गईं। बड़े भाई ओमप्रकाश कक्कड़ यूएसए, आनंद स्वरूप दिल्ली, सतीश चंद्र मुंबई तथा सतीश चंद्र कक्कड़ कोलकाता में बस गए। नतीजतन उनके स्वजनों ने 80 के दशक में यहां बना घर बेच दिया। हिंदी, अंग्रेजी समेत कई भाषाओं पर पकड़ रखने वाली अनिता बरार वर्तमान में आस्ट्रेलिया में स्पेशल ब्राडकास्टिंग सर्विस में हिंदी रेडियो प्रोड्यूसर हैं। फिल्म निर्माता निर्देशक, लेखक, नाटककार व कवि के रूप में उनकी पहचान है। अनिता ने क्रासिंग द लाइन डाक्यूमेंट्री फिल्म में सिडनी में बसे भारत व पाकिस्तान मूल के पलायनित परिवारों की बातचीत के साथ विभाजन की त्रासदी की व्यथा को उकेरकर शांति का संदेश देने का प्रयास किया है। काकोरी रेल एक्शन के बलिदानियों पर भी फिल्म बनाने की योजना अनिता बरार ने भले ही आस्ट्रेलिया को अपनी कर्मभूमि बना लिया, लेकिन जन्मभूमि से नाता बरकरार है। काकोरी रेल एक्शन के नायक पं. रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां तथा ठाकुर रोशन सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म का भी वह निर्माण करना चाह रही हैं। इसके लिए वर्ष 2008 में आस्ट्रेलिया से यहां आकर अध्ययन भी कर चुकी है।


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