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मैं को त्यागो, संवेदनशील बनो..

दैनिक जागरण की संस्कारशाला के तहत शहर के डॉ. जीएल कनौजिया पब्लिक स्कूल में पाठशाला लगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 09:05 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 09:05 AM (IST)
मैं को त्यागो, संवेदनशील बनो..
मैं को त्यागो, संवेदनशील बनो..

जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर : दैनिक जागरण की संस्कारशाला के तहत शहर के डॉ. जीएल कनौजिया पब्लिक स्कूल में पाठशाला लगी। संस्काशाला की प्रशिक्षक व केंद्रीय विद्यालय की शिक्षिका प्रभा मौर्य ने छात्र-छात्राओं को कहानी के माध्यम से जीवन में मैं की बजाय हम के महत्व के बारे में बताया। कहा कि जिस दिन हम अपने आसपास की चीजों के प्रति संवेदनशील बनेंगे उसी दिन जीवन में हर कदम पर सफलता मिलना शुरू हो जाएगी। सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर डा. जीएल कनौजिया में सुबह की नियमित प्रार्थना के बाद दैनिक जागरण की संस्कारशाला प्रशिक्षक प्रभा मौर्य ने पाठशाला लगाई। उन्होंने दैनिक जागरण के 18 सितंबर के अंक में प्रकाशित कहानी मैं नहीं हम का उल्लेख करते हुए छात्र-छात्राओं को उससे जोड़ा। आरुषि व रिया की कहानी में गिलहरी के प्रेम व उनकी संवेदनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि जीवन में सभी के प्रति संवेदनशील बनना होगा। फिर चाहें वह अपने हों या बेजुबान। प्रभा मौर्य ने कहानी से मिलते जुलते अपने जीवन से जुड़े कुछ स्मरण भी सुनाये। उन्होंने जागरण संस्कारशाला की कहानी पर केंद्रित सवाल भी पूछे, जिनका छात्र-छात्राओं ने जवाब दिया।

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संस्काशाला की इस कहानी से पता चलता है कि जीवन में हमें छोटी-छोटी बातों का कितना ध्यान रखना चाहिए। हमें दूसरे के प्रति भी दया व सहानुभूति का भाव रखना चाहिए।

बरखा गोयल

आरुषि व रिया ने गिलहरी के बच्चे की जान बचाई। अगर आरुषि रिया की तरह पहले ध्यान न देती तो शायद उसकी जान चली जाती। उन्होंने बच्चे को नया जीवनदान दिया।

प्रियांशी अग्रवाल

संस्काशाला की कहानियों का हमें इंतजार रहता है। यह हमारे जीवन में ज्यादा सहायक होती हैं। प्रशिक्षिक के माध्यम से इसे और बेहतर समझने का मौका मिला।

ईशा दीक्षित

कई बार हम छोटी-छोटी बातों को अनदेखा कर देते हैं, दूसरों का दिल दुखाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस कहानी ने हमें हमारी सामाजिक जिम्मेदारी का अहसास कराया है।

वरुण मिश्रा

दैनिक जागरण की संस्कारशाला बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। इसकी कहानियों में बड़ी-बड़ी शिक्षाएं छिपी होती हैं, जो किसी भी छात्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।

समन फरीद, शिक्षिका

संस्कारशाला का हमारे स्कूल में इस तरह का आयोजन काफी अच्छा अनुभव रहा। जिस तरह से कहानी व उसके संदेश को समझाया गया, वह बच्चों के व्यक्तित्व के निर्माण में काफी सहायक होंगे।

आरडी अग्रवाल प्रधानाचार्य


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