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शिक्षा में नारी बनी बेचारी

शिक्षा में यहां नारी बेचारी साबित हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 12:23 AM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 12:23 AM (IST)
शिक्षा में नारी बनी बेचारी
शिक्षा में नारी बनी बेचारी

जेएनएन, शाहजहांपुर : शिक्षा में यहां नारी बेचारी साबित हो रही है। सह शिक्षा के सहारे ही नारी खुद को सशक्त बना रही है। जनप्रतिनिधि भी नारी शिक्षा के लिए चुनाव में वायदे करते हैं। लेकिन आधी आबादी की शिक्षा की ओर किसी का खास ध्यान नहीं है। कस्तूरबा महाविद्यालय योजना से ड्राप आउट बालिकाओं को शिक्षित बनाने का प्रयास काबिले तारीफ रहा। लेकिन बा की पढ़ाई के बाद बालिकाओं की शिक्षा के जिले में कोई प्रबंध नहीं है। 370 माध्यमिक विद्यालयों में मात्र आठ कन्या इंटर कॉलेज हैं। 51 संचालित महाविद्यालयों में महिला महाविद्यालय की संख्या मात्र दो है। नतीजतन बालिकाएं सह शिक्षा पर ही निर्भर है। 42 हजार छात्राएं, छात्रावास सिर्फ 4

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हाईस्कूल की पढ़ाई के बाद छात्राओं के रहने के कोई प्रबंध नहीं है। जबकि इस वर्ष ही

17562 छात्राओं ने 13024 छात्राओं ने इंटरमीडिएट की परीक्षा दी। 12 हजार के करीब छात्राएं उच्च शिक्षा में है। 300 से ज्यादा तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। लेकिन इनके रहने के लिए मात्र चार छात्रावास हैं। इनमें एसएस कॉलेज में एक अनुसूचित जाति तथा एक पिछड़े वर्ग की छात्राओं के लिए बना है। एक छात्रावास खिरनी बाग तथा दूसरा राजकीय पालिटेक्निक में है। तीन मंजूर नए विद्यालयों में भी उपेक्षा

इसी वित्तीय वर्ष में तिलहर तहसील के गांव सूथा में राजकीय इंटर कॉलेज की मंजूरी मिली। टिकरी तथा नवादा दरोबस्त में भी इंटर कॉलेज मंजूर हुए। लेकिन कन्या इंटर कॉलेज एक भी स्वीकृत नहीं हुआ। उपेक्षा के बावजूद बेहतर प्रदर्शन

जनपद में 51 महाविद्यालय संचालित हैं। शहर के आर्य महिला डिग्री कॉलेज तथा सावित्री देवी महिला महाविद्यालय पुवायां को छोड़ शेष 49 महाविद्यालय सह शिक्षा आधारित है। इसके बावजूद उच्च शिक्षा में छात्राओं का प्रदर्शन अच्छा है। दशक पूर्व महाविद्यालयों में छात्राओं की सहभागिता 20 से 25 फीसद थी, जो अब 40 फीसद के करीब पहुंच गई है। 2003 में शुरू हुए एसएस लॉ कालेज के तीन वर्षीय पाठ्क्रम तथा 2006 से संचालित पांच वर्षीय पाठ्यक्रम में भी 40 फीसद छात्राअेां की भागीदारी है। मेडल में छात्रों के सापेक्ष छात्राओं का प्रदर्शन दो गुना बेहतर है। महिला शिक्षण संस्थानों पर एक नजर

- 16 कस्तूरबा विद्यालय

- 8 कन्या इंटर कॉलेज

- 2 महिला महाविद्यालय

- 1 महिला पालीटेक्निक

- 1 नर्सिंग कॉलेज

- 4 महिला छात्रावास फैक्ट फाइल

- 25791 छात्रों ने दी हाईस्कूल परीक्षा

- 17562 छात्राएं शामिल हुई हाई स्कूल

- 18013 छात्र शामिल हुए इंटरमीडिएट परीक्षा में

- 13024 छात्राओं ने दी इंटरमीडिएट की परीक्षा

- 12000 छात्राएं उच्च शिक्षा को लेती प्रवेश

जनपद में बालिका शिक्षा की ओर किसी का ध्यान नही है। छात्रवास की भी कमी है। नए कन्या इंटर कॉलेज व महिला महाविद्यालय खुलें। महिला छात्रावासों की व्यवस्था की जाए। इससे नारी शिक्षा का स्तर बढ़ेगा और महिलाएं सशक्त होगी।

अर्चना गुप्ता, सेवा निवृत्त प्रधानाचार्य, आर्य कन्या इंटर कॉलेज

सह शिक्षा के बावजूद छात्राओं का प्रदर्शन छात्रों से बेहतर है। छात्राओं करीब 70 फीसद गोल्ड मेडल पर कब्जा कर रही है। यदि कन्या इंटर कॉलेज, महिला महाविद्यालय तथा छात्रावास खुल जाएं तो ग्रामीण बालिकाओं का शैक्षिक स्तर बढ़ जाएगा।

डा. अवनीश मिश्रा, प्राचार्य, एसएस कॉलेज

जूनियर हाईस्कूल के बाद से ही अधिकांश छात्राएं छात्रावास आदि की उचित व्यवस्था न होने की वजह से पढ़ नही पाती। सुरक्षा कारणों से मां बाप इंटर के बाद पढ़ाई छुड़वा देते। शहर तथा तहसीलों में महिला छात्रावास युक्त एक एक महिला महाविद्यालय जरूर खुलना चाहिए।

डा. रानी त्रिपाठी, सेवा निवृत्त प्राचार्य, आर्य महिला डिग्री कॉलेज सह शिक्षा की ओर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। छात्राओं के प्रवेश की कहीं कोई समस्या नहीं है। कस्तूरबा आवासीय विद्यालयों में प्रतिवर्ष 1600 बालिकाएं शिक्षित हो रही है। उन्हें आगे की पढ़ाई में मदद की जा रही है।

डा. रविदत्त, जिला विद्यालय निरीक्षक


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