कागजों में योजनाएं, नहीं रुक रहे महिला अपराध
मासूम के साथ हुई दुष्कर्म की घटना ने एक बार फिर से जिले में महिला सुरक्षा के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन के दुष्कर्मियों के पोस्टर लगाने की चेतावनी के बाद भी घटनाएं रुकने की बजाय बढ़ गई हैं। कई सेवाएं व योजनाएं शुरू की गईं। दावे भी बहुत हुए पर काम जमीन पर कम कागजों में ज्यादा हो रहा है। सच तो यह कि घर हो या बाहर महिलाएं व बिचयां कहीं सुरक्षित नहीं हैं।
जेएनएन, शाहजहांपुर : खुदागंज में मासूम के साथ हुई दुष्कर्म की घटना ने एक बार फिर से जिले में महिला सुरक्षा के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन के दुष्कर्मियों के पोस्टर लगाने की चेतावनी के बाद भी घटनाएं रुकने की बजाय बढ़ गई हैं। कई सेवाएं व योजनाएं शुरू की गईं। दावे भी बहुत हुए, पर काम जमीन पर कम कागजों में ज्यादा हो रहा है। सच तो यह कि घर हो या बाहर महिलाएं व बच्चियां कहीं सुरक्षित नहीं हैं।
ये हैं दिक्कतें
- थानों में नहीं होती है त्वरित सुनवाई, काटने पड़ते हैं पीड़िताओं को चक्कर
- अधिकारियों के नहीं उठते हैं फोन, दुष्कर्म जैसे मामलों में होती है घंटों पूछताछ
- स्कूल-कालेजों के बाहर सार्दी वर्दी में पुरुष पुलिस कर्मी नहीं किए गए हैं तैनात
- अपने जिले में घर की दहलीज से लेकर स्कूल तक नहीं हैं सुरक्षित बेटियां
- प्रचार-प्रसार के अभाव में थाने तक जाने से कतरातीं हैं पीड़ित लड़कियां
यह है स्थिति :
- डायल 112 पर जनवरी से अब तक लगभग 300 मामले आए। जिनमें से लगभग 40 फीसद महिलाओं से संबंधित थे।
- 181 हेल्पलाइन की प्रभारी चंचल यादव ने बताया कि घरेलू हिसा, छेड़छाड़ व महिला विवाद के करीब 400 मामले सामने आए थे।
- 1098 हेल्पलाइन पर फरवरी 2019 से अब तक 520 मामले आ चुके हैं। जिनमें करीब 12 मामले पाक्सो से भी संबंधित थे।
आंकड़ों में खेल
इस साल जनवरी से अब तक सरकारी रिकार्ड में दुष्कर्म 14 व नाबालिगों से दुष्कर्म के पांच मामले ही दर्ज हुए हैं। जबकि घटनाएं इससे ज्यादा हुई हैं। पुवायां में दुष्कर्म पीड़िता को तीन दिन धरने पर बैठना पड़ा था।
1090 हेल्पलाइन
हेल्पलाइन 1090 शुरू करने के पीछे सरकार का मकसद मुसीबत में फंसी महिलाओं या लड़कियों को सुरक्षा उपलब्ध कराना था। प्रचार-प्रसार न होने के कारण यह योजना ज्यादा प्रभावी नहीं हुई। इस पर कितनी शिकायतें आईं और कितनों पर कार्रवाई की गई, इस बारे में एएसपी ग्रामीण अपर्णा गौतम कुछ नहीं बता सकीं।
शक्ति परी की नहीं सुध
स्कूल व कालेज जाने वाली लड़कियां छेड़छाड़ से परेशान हैं। इसके लिए शक्ति परी योजना शुरू की गई थी। इसके तहत कालेजों में लड़कियों का समूह गठित किया जाना था। जो ऐसी घटना होने पर तत्काल प्राचार्य व हेल्पलाइन पर सूचना देतीं, लेकिन इनकी न तो कालेज प्रशासन को सुध है न पुलिस को। एंटी रोमियो भी कागजों में ही सक्रिय है। थानों में पिक रूम व हेल्प डेस्क बनाई गई हैं, पर ज्यादा प्रभावी नहीं हैं।
वर्जन
हमारी टीमें लगातार लोगों को जागरूक करती हैं। बच्चों से संबंधित जो भी मामले आते हैं उनमें कार्रवाई कराते हैं।
मोहित सक्सेना, निदेशक 1090
वर्जन :
दुष्कर्म व छेड़छाड़ की घटनाएं कम हुई हैं। 1090 का रिकार्ड हमारे पास नहीं है। अन्य योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है। शक्ति परी को भी सक्रिय किया जाएगा।
अपर्णा गौतम, एएसपी ग्रामीण