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जिला अस्पताल में पहुंची मुस्कान

बरेली की मुस्कान आखिरकार जिला अस्पताल पहुंच गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 11:56 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 06:24 AM (IST)
जिला अस्पताल में पहुंची मुस्कान

जेएनएन, शाहजहांपुर : बरेली की मुस्कान आखिरकार जिला अस्पताल पहुंच गई। उसे भेजा तो बेहतर इलाज के बहाने से था, लेकिन यहां के हालात उसके लिए किसी मुसीबत से कम नहीं। जिस नवजात शिशु सघन इकाई में उसे रखा गया है, वहां पहले से ही क्षमता से अधिक बच्चे मौजूद हैं। हालांकि डॉक्टरों का दावा है कि बच्ची का स्वास्थ्य बेहतर है और उस पर लगातार नजर रखी जा रही है। उसकी जांच के बाद तय किया जाएगा कि उसे कितने दिन वहां रखना है।

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बरेली के गुरुनानक अस्पताल में छह मई को मुस्कान को भर्ती कराया गया था, लेकिन उसके परिजन यह कहते हुए छोड़ गये थे कि उन्हें बेटे के बदले बेटी दी जा रही है। अस्पताल प्रशासन ने न्याय बाल कल्याण समिति व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मिलकर पूरी बात बतायी, पर वहां के जिला अस्पताल प्रशासन ने बच्ची को लेने से मना कर दिया। इसके बाद मामला एडी हेल्थ डा. राकेश दुबे तक पहुंचा तो उन्होंने शाहजहांपुर जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में बेहतर सुविधाएं होने की बात कही, जिसके आधार पर न्याय बाल कल्याण समिति ने 16 जुलाई को एडी हेल्थ से बात करके बच्ची को शाहजहांपुर रेफर करने के आदेश दिये। बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार होने पर बुधवार शाम गुरुनानक अस्पताल टीम बच्ची को लेकर जिला अस्पताल पहुंची। जहां उसको शिशु सघन इकाई के वार्मर में रखा गया है।

वजन कम, आज होगी जांच

जिला अस्पताल में नवजात शिशु सघन इकाई में तैनात डॉ. रंजीत दीक्षित ने बताया कि बच्ची का स्वास्थ्य ठीक है। हालांकि उसका वजन कम है। उन्होंने बताया कि बच्ची लगभग पौने तीन माह की है। उसका वजन करीब 1325 ग्राम है, जबकि यह इससे दोगुना होना चाहिए था। फेफड़े छोटे होने की भी संभावना है। हालांकि बच्ची दूध पी रही है। उसको वार्मर में रखा गया है। गुरुवार को बच्ची के स्वास्थ्य की जांच कराई जाएगी। उसी के आधार पर बच्ची का बेहतर इलाज किया जाएगा।

बनायी जा रही व्यवस्था

डा. रंजीत दीक्षित ने बताया कि वार्ड में लगभग 16 वार्मर हैं, जिनमें 26 बच्चे हैं। अब 27वीं मुस्कान है। डा. दीक्षित ने बताया कि एक समय में अधिकतम 18 बच्चे वार्ड में रख रहे हैं। अन्य बच्चों को समय के हिसाब से उनकी मां के पास भेज दिया जाता है। ताकि व्यवस्थाएं न बिगड़ें। बच्ची के इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं होगी।

तो करना पड़ेगा रेफर

डा. दीक्षित के मुताबिक वार्ड में वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है। अगर बच्ची को कोई दिक्कत होती है तो उसको लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ेगा। डॉक्टर लगातार देखभाल कर रहे हैं। उसकी हर प्रतिक्रिया पर नजर रखी जा रही है।

वर्जन: बच्ची को शिशु सघन इकाई में भर्ती करा दिया गया है। डॉक्टरों से कहा गया है कि उसका बेहतर इलाज किया जाए। अगर कोई परेशानी आती है तुरंत इसकी सूचना दी जाए।

डॉ. एमपी गंगवार, सीएमएस जिला अस्पताल


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