अतीत के आईने से: एटा,फर्रुखाबाद का प्रतिनिधित्व करते थे शाहजहांपुर के सांसद
शाहजहांपुर ने 27 मार्च 1952 को हुए प्रथम लोकसभा चुनाव में जनपद के साथ एटा फर्रुखाबाद तथा आंशिक लखीमपुर खीरी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
नरेंद्र यादव, शाहजहांपुर: आजादी आंदोलन से लेकर देश के सियासी सफर में जनपद का शीर्ष स्थान रहा। काकोरी कांड में 70 क्रांतिकारियों का नेतृत्व करने वाले शाहजहांपुर ने 27 मार्च 1952 को हुए प्रथम लोकसभा चुनाव में जनपद के साथ एटा, फर्रुखाबाद तथा आंशिक लखीमपुर खीरी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। यह क्रम 1962 तक चला। संयुक्त सीट सामान्य से रामेवश्वर प्रसाद नेवतिया, हिंदू महासभा के विशनचंद सेठ तथा सुरक्षित से कांग्रेस के गणोशी लाल चौधरी तथा निर्दलीय लाखनदास ने तीनो प्रमुख जिलों का संसद में प्रतिनिधित्व किया। 1962 में एकल सीट होने के बाद विशनचंद सेठ एटा के सांसद रहे। शाहजहांपुर सीट से स्वतंत्रता सेनानी प्रेमकृष्ण खन्ना लोकसभा में पहुंचे।
1.26 लाख वोट पाकर नेवतिया बने थे सांसद
27 मार्च 1952 को हुए चुनाव में यूपी के 68 लोकसभा क्षेत्रों में शाहजहांपुर, एटा, फरुखाबाद संयुक्त क्षेत्र की सामान्य सीट से रामवेश्वर प्रसाद नेवतिया 1 लाख 26 हजार, 252 मत पाकर चुनाव जीते थे। जबकि सुरक्षित सीट से गणोशी लाल चौधरी ने 1 लाख 6 हजार 843 वोट पाकर जीत दर्ज की और तीन जिलों का संसद में प्रतिनिधित्व किया।
1.68 लाख वोट पाकर तीन जिलों के सांसद बने थे विशन चंद सेठ
1957 के लोकसभा चुनाव में हिंदू महासभा से विशनचंद्र सेठ एमपी चुने गए। उन्हें 1 लाख 68 हजार 430 वोट मिले थे। सुरक्षित सीट से लाखन दास ने जीत दर्ज की। 1962 में डबल सीट को समाप्त कर दिया गया। इसके बाद कांग्रेस से स्वतंत्रता सेनानी प्रेमकृष्ण खन्ना सांसद बने। 1971 में कांग्रेस से जितेंद्र प्रसाद ने चुनाव लड़ा और जनपद समेत एटा का प्रतिनिधित्व कर चुके विशनचंद्र सेठ को हरा दिया था।