नमो देव्यै, महादेव्वै : तालीम से बेटियों को फौलाद बना रहीं डा. फातिमा
- प्रसव में बेटी के जन्म पर परिजनों को ही फीस दान कर देतीं यूनानी चिकित्सक - पंचायत व मशि
- प्रसव में बेटी के जन्म पर परिजनों को ही फीस दान कर देतीं यूनानी चिकित्सक
- पंचायत व मशविरा से चार दर्जन परिवारों को टूटने से भी बचा चुकीं अब तक
जागरण संवाददता, शाहजहांपुर : तीन तलाक कानून से महिलाएं सशक्त बनेंगी। हालांकि कानून का वर्तमान स्वरूप थोड़ा लचीला है। सरकार को और सख्त कानून बनाना चाहिए। दरअसल इस्लाम में भी एक साथ तीन तलाक की इजाजत नहीं है। जब कोई सौहर तलाक देता तो उसकी शरीके हयात की पलभर में खुशियां काफूर हो जाती हैं। उस पर बच्चों के भरण पोषण का बोझ आ जाता है। कानून में तीन तलाक के अपराधी को सजा के साथ महिलाओं व बच्चों के परवरिश की भी व्यवस्था होनी चाहिए। यह कहना है यूनानी चिकित्सक डा. फातिमा खान का। उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत की।
नारी सशक्तिकरण से ही सशक्त होगा समाज
बकौल डा. फातिमा वर्ष 2013 में बीयूएमएस की डिग्री के बाद चिकित्सा सेवा शुरू कर दी। इस दरम्यान तमाम मरीज महिलाओं की बीमारी की मुख्य वजह तीन तलाक के तनाव से गुजरना थी। डॉ. फातिमा अब तक करीब चार दर्जन परिवारों को टूटने से बचा चुकी हैं।
बेटी के जन्म पर फीस बैक का तोहफा
डा. फातिमा खान बताती हैं प्रसव में बेटी के जन्म पर उन्होंने फीस न लेने का निर्णय लिया। इसमें उनके चिकित्सक पति ने भी साथ दिया। दो साल के भीतर अस्पताल में 50 से अधिक प्रसव में बेटियों का जन्म हुआ। प्रसव की फीस लौटाने पर परिजनों के चेहरे पर मुस्कान देख खुशी मिली। फीस न लेने का सिलसिला ताउम्र चलाने का निश्चय किया है।