लाखों रुपये हो गए कूड़ा, कागजों में बन रही खाद
जेएनएन, शाहजहांपुर : महानगर को कूड़े से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम प्रशासन की ओर से तमाम प्रयास किए गए। खिरनीबाग समेत कई मुहल्लों में लाखों रुपये कीमत के कम्यूनिटी कंपोस्टर लगाए गए थे। ताकि गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग कराया जा सके। गीले कूड़े से इन कंपोस्टरों के जरिये खाद बनाई जानी है। लेकिन पर्याप्त गीला कूड़ा कंपोस्टर तक न पहुंचने की वजह से खाद सिर्फ कागजों में ही बन रही है।
निगम ने एक साल पहले शहर के खिरनीबाग, इंदिरा नगर समेत कई मुहल्लों में कम्युनिटी कंपोस्टर लगाकर मुहल्ला समितियां गठित की थी। प्रत्येक समिति में अध्यक्ष समेत दस सदस्यों को शामिल किया गया था। ताकि लोगों को गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग करने के लिए जागरूक किया जा सके। यह कूड़ा निगम की टीम को डोर टू डोर एकत्र करना है। गीला कूड़ा कंपोस्टर में पहुंचाकर उससे खाद बनाई जानी है। यह खाद 60 दिन के अंदर बनाकर पहले समिति के सदस्यों को देनी है। इसके बाद अन्य लोगों को बिक्री करने का प्लान बनाया गया था। लेकिन एक साल बीतने के बाद भी खाद नाम मात्र ही बन पा रही है।
गांधी भवन में रखे कंपोस्टर
नगर निगम प्रशासन ने आठ कंपोस्टर गांधी भवन परिसर में कई माह पहले रखवाए थे। जो अभी तक मुहल्लों में नहीं स्थापित किए जा सके। हालांकि निगम के अधिकारी दावा कर रहे है कि जल्द ही चिनौर, रंगमहला, आवास विकास आदि स्थानों पर यह कंपोस्टर स्थापित करवा दिए जाएंगे।
सरकारी कार्यालयों में भी नहीं हुई शुरुआत
दो साल पहले नगर निगम प्रशासन दावा कर रहा था कि सरकारी कार्यालयों में भी कूड़े से खाद बनाने के लिए कंपोस्टर लगाए जाएंगे। लेकिन अभी तक किसी भी कार्यालय में इस पर काम शुरू नहीं कराया गया। इसी तरह होटल व ढाबों पर भी कूड़े से खाद बनाने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए जो प्रयास शुरू हुए थे वह भी अधर में लटक गए।
कूड़े से खाद बनाने का प्रोजेक्ट पूरी तरह से फेल हो गया है। जिस वजह से खाद बनाने के बारे में किसी को जानकारी तक नहीं है।
गौरव त्रिपाठी
नगर निगम प्रशासन जब सूखा व गीला कूड़ा ही अलग-अलग नहीं करवा पा रहा है तो खाद कहां से बनेगी। अभी तक सिर्फ रुपये की बर्बादी की गई।
सोनू कुमार
स्वच्छता को लेकर कुछ दिन प्रयास किए गए थे लेकिन बाद में फिर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को भूल गए। जिस वजह से धरातल पर खाद नहीं बन पा रही।
संजू कुमार
कूड़े से खाद बनाने के लिए पहले ठीक से प्रचार-प्रसार कराना चाहिए ताकि लोग सूखा व गीला कूड़ा अलग-अलग कर सके। बिना प्रचार-प्रसार के यह प्रोजेक्ट सफल नहीं है।
राकेश गंगवार
कम्यूनिटी कंपोस्टर में गीले कूड़े से ही खाद बनना संभव है। ऐसे में डोर टू डोर कूड़ा उठान व लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया जा रहा है। दो माह में पूर शहर को कवर करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि कूड़े से खाद बनाकर उसकी बिक्री भी कराई जा सके।
रश्मि भारती, सहायक नगर आयुक्त