ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित
भारी गहमागहमी के बीच ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। उनके खिलाफ 38 क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने मतदान किया।
जेएनएन, जैतीपुर/तिलहर, शाहजहांपुर : भारी गहमागहमी के बीच ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। उनके खिलाफ 38 क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने मतदान किया। जबकि प्रमुख के पक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। एसडीएम ने मतगणना के बाद परिणाम घोषित किया।
जैतीपुर ब्लाक प्रमुख के चुनाव में सत्येंद्र पाल सिंह यादव की पत्नी ईश्वरवती तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कटरा विधायक वीर विक्रम सिंह की चाची विजयलक्ष्मी को बराबर बराबर मत प्राप्त हुए थे, जिसमें लॉटरी सिस्टम से ईश्वरवती चुनाव जीतकर ब्लाक प्रमुख के पद पर काबिज हुईं थीं। प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद ब्लाक प्रमुख के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव की सरगर्मियों जोर पकड़ने लगीं थीं। उनके खिलाफ क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने डीएम इंद्र विक्रम सिंह को शपथ पत्र दिए थे, जिसको लेकर डीएम ने 15 नवंबर को मतदान कराने की तिथि घोषित की थी, लेकिन ऐन वक्त पर ईश्वरवती हाईकोर्ट से चुनाव प्रक्रिया को अवैध बताते हुए स्थगनादेश ले आई थी। जिस कारण मतदान प्रक्रिया संपन्न नहीं हो सकी थी, लेकिन विपक्षी गुट के राजकुमार इस मामले में पूरी तरह कमर कसे रहे। दोबारा डीएम को शपथ पत्र दिए गए, जिस पर डीएम ने सभी क्षेत्र पंचायत सदस्यों को नोटिस जारी करते हुए आज 10 दिसंबर को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तिथि निर्धारित की थी।
छावनी में तब्दील किया ब्लॉक
मंगलवार को ब्लॉक मुख्यालय को पूरी तरह छावनी में तब्दील कर दिया गया। पूर्वाह्न करीब 11 बजे बैठक शुरू हुई जो करीब एक बजे तक चली। एसडीएम मोइनुल इस्लाम की अध्यक्षता में चली बैठक में 66 में से 38 सदस्य मौजूद रहे।
कराया गया गुप्त मतदान
बैठक की समाप्ति के बाद सभी क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने गुप्त मतदान किया। मतदान पत्र पर पक्ष तथा विपक्ष दो कॉलम बने हुए थे। वहां मौजूद सभी 38 क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने विपक्ष में मतदान किया, जिनकी सदस्यों के सामने मतगणना की गई। इस दौरान बीडीओ डा. विजय प्रताप यादव, पवन यादव, महाराम सिंह, समुद्र सेन, सुनील मिश्र आदि कर्मचारी मौजूद रहे।
ये लगाए थे आरोप
बीडीसी सदस्यों ने हर दो माह में एक बैठक न करने का आरोप लगाया था। इसके अलावा जनहित के कार्यों में रुचि न लेने, विकास कार्य अपने खास लोगों से कराने, कार्यों की गुणवत्ता खराब होने के भी आरोप लगाए थे।