लॉकडाउन में भी शाहजहांपुर से आ रही खेती में बहार
लॉकडाउन में जब सबकुछ ठहर सा गया है। औद्योगिक उत्पादन भी ठप है। ऐसे में शाहजहांपुर के उद्यमी किसान खेती और किसानों की जिंदगी में बहार लाने में जुटे हैं।
नरेंद्र यादव, शाहजहांपुर : लॉकडाउन में जब सबकुछ ठहर सा गया है। औद्योगिक उत्पादन भी ठप है। ऐसे में शाहजहांपुर के उद्यमी किसान खेती और किसानों की जिंदगी में बहार लाने में जुटे हैं। ये सिर्फ जिले ही नहीं, प्रदेश के 65 जिलों और दो अन्य राज्यों तक किसानों को खुशहाली बांट रहे हैं।
दरअसल शाहजहांपुर खेती में यंत्रीकरण के क्षेत्र में तीन प्रदेशों की खुशहाली का आधार बना हुआ है। यहां के करीब दो हजार उद्यमी किसान कंबाइन व रीपर से यूपी मध्यप्रदेश व बिहार में गेहूं, धान की कटाई मड़ाई में हाथ बंटाते है। लॉकडाउन के दौरान प्रशासन ने यहां के उद्यमी किसानों को गोरखपुर, फतेहगढ़, गोंडा, बहराइच, बाराबंकी, संत कबीरनगर समेत यूपी के 65 जिलों और दो अन्य राज्यों के लिए कृषि पास जारी किए है ताकि वे अपने कृषि यंत्रों से कृषि कार्य को पहले की तरह जारी रख सकें।
पुवायां में बनती कंबाइन मशीन व रीपर : मिनी पंजाब कही जाने वाली पुवायां तहसील कंबाइन, रीपर समेत कृषि यंत्रों की मंडी है। यहां से प्रदेश भर के लोग आधुनिक कृषि यंत्र खरीदने आते हैं। कंबाइन, रीपर के स्पेयर पार्ट्स भी यहां मिलते हैं।
दो दशक पूर्व आई यंत्रीकरण कृषि क्रांति : तराई क्षेत्र के तहसील पुवायां में करीब एक चौथाई आबादी सिख समुदाय की है। पंजाब से आकर बसे किसानों ने जनपद में हरित क्रांति ला दी। दो दशक पूर्व कृषि यंत्रीकरण की दिशा में कदम बढ़े। जो किसान मशीन नहीं खरीद सकते हैं, उनके लिए भी यहां के उद्यमी सेवा देते हैं। मशीन खेतों तक ले जाकर कटाई-मड़ाई आदि का काम करते हैं। इसी कार्य के लिए इनको बडे़ पैमाने पर प्रशासन ने पास जारी किए।
वर्जन
कृषि यंत्रीकरण से प्रदेश की पैदावार में इजाफा हुआ है। इसमें जनपद के किसानों को विशेष योगदान है। यहां किसान खुद मशीनों से खेती करने के साथ ही यूपी में 65 से अधिक जिलों तथा मध्य प्रदेश व बिहार में गेहूं व धान की कटाई में हाथ बंटाते हैं। लॉकडाउन में करीब 500 कंबाइन समेत करीब दो हजार लोगों के पास जारी कराए गए।
-डॉ. सतीश चंद्र पाठक, जिला कृषि अधिकारी