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राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने विनोबा भावे के दर्शन से समझाया गरीबी घटाने का फार्मूला

शाहजहांपुर अंबुज मिश्र राज्यपाल आनंदीबेन पटेल आईं तो विनोबा आश्रम के स्थापना दिवस समारोह

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 01:08 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 01:08 AM (IST)
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने विनोबा भावे के दर्शन से समझाया गरीबी घटाने का फार्मूला
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने विनोबा भावे के दर्शन से समझाया गरीबी घटाने का फार्मूला

शाहजहांपुर, अंबुज मिश्र :

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राज्यपाल आनंदीबेन पटेल आईं तो विनोबा आश्रम के स्थापना दिवस समारोह में थीं, लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक व प्रशासनिक अनुभवों से कई सीख दीं। न सिर्फ ज्वलंत समस्याओं पर बोलीं, बल्कि जनसहभागिता से उनके निस्तारण भी सुझाए। खेती के साथ-साथ शिक्षा की बात की। किसानों की आर्थिक मजबूती पर जोर दिया तो शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने व शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारी का भी अहसास कराया। नेताओं को लीडरशिप का तरीका व उसका महत्व बताया। आचार्य विनोबा भावे के दर्शन से अमीर-गरीब की खाई को कैसे कम किया जाए यह भी बताया। जिसके पास है, जिसके पास नहीं है विनोबा भावे का सूत्र वाक्य याद दिलाया। इन दोनों स्थितियों में जो लोग हैं, उन्हें आपस में मिलाने की आवश्यकता बताई। विनोबा भावे के भूदान अभियान से इसे समझाया। मजबूर नहीं, बनाएं आत्मनिर्भर

उन्होंने कहा कि जिसके पास काम नहीं होता व जमीन नहीं होती, वह मजदूरी को मजबूर होता है। पर्याप्त आय न होने के कारण उसके बच्चे पढ़ नहीं पाते। ऐसे में अगर किसी को जीविकोपार्जन के लिए भूमि मिल जाए तो उसके लिए इससे बड़ी बात कुछ नहीं हो सकती। विनोबा भावे ने जनसहयोग से इस अभियान को गांव-गांव पहुंचाया। किसानों के आत्मनिर्भर बनने से गांवों के आर्थिक समृद्ध होने की बात कही। बोलीं, गांव की बहनों को लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती बनाकर विकास की धारा बनाने का काम हो। महिलाओं को सशक्त बनाया जाए। शिक्षकों को दी नसीहत

राज्यपाल ने कहा कि बच्चे तभी आदर्श विद्यार्थी, आदर्श किसान, घर के आदर्श मुखिया बनेंगे, जब शिक्षा गुणवत्तापूर्ण होगी। 10वीं या 12वीं में जब छात्र पहुंचता है तो अध्यापक सिर्फ लेक्चर तक सीमित रहते हैं। बच्चे स्कूल क्यों नहीं आ रहे हैं, उनकी पारिवारिक स्थिति कैसी है। सही से पढ़ाई न करने के पीछे की वजह नहीं देखते। जो बड़ी त्रुटि है। बच्चों को लावारिस छोड़ना पाप

राज्यपाल ने बच्चियों को लावारिस फेंकने को सबसे बड़ा पाप बताया। कहा परिस्थितियां हो सकती हैं, लेकिन समाज के डर से बच्चों को लावारिस छोड़ने वालों को ईश्वर कभी माफ नहीं करता है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों को दया नहीं करुणा, मानवता से परवरिश की जरूरत है।

जनता करती है नेता का अनुसरण

मानसिक मंदित महिला से संबंधित घटना का जिक्र करते हुए कहा कि परिवार का कोई सदस्य अगर इस स्थिति में पहुंच जाए तो उसकी सेवा होनी चाहिए। विधायक रहते हुए ऐसी महिलाओं व लावारिस बच्चों के लिए कार्यकर्ताओं के किए गए कार्य बताए। बोलीं, नेताओं को ऐसे काम करने की जरूरत है। जनप्रतिनिधि का काम है लोगों की सेवा करना। एक साथ बदलाव नहीं आता, लेकिन जनसहयोग से सरकार सबकुछ बदल सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाथ में झाड़ू पकड़ी तो जनता ने सफाई की। जब एक लीडर कुछ करता है तो उसका अनुसरण करती है।

महेंद्र दुबे के स्टाल पर खाया गुड़

संवाद सहयोगी, रोजा : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल प्रदर्शनी अवलोकन के दौरान प्रगतिशील किसानों के स्टाल पर काफी देर रुकी। उन्होंने पूजा गंगवार के स्टाल पर गोबर से तैयार सजावटी सामान को सराहा। वसुलिया के प्रगतिशील किसान महेंद्र कुमार दुबे ने राज्यपाल को गन्ने की पारंपरिक व सहफसली खेती से तैयार जैविक गुड़ बनाने की विधि के साथ उसमें मिलाए गए पोषक तत्वों की जानकारी दी। राज्यपाल ने गुड़ खाकर स्वाद की तारीफ की। वह गुड़ को खरीदकर भी ले गई। संजय उपाध्याय ने प्राकृतिक खेती से रेडरॉट नियंत्रण, ज्ञानेश तिवारी ने जैविक खाद उत्पादन के बारे में बताया। गंगा भूमि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के विविध उत्पाद देखे। शहीद भूमि बासमती, बेनी माधव आदि कृषक उत्पादक संगठन प्रतिनिधियों ने उत्पादों की विशिष्टता बताई। राजभवन व परिवार के संस्मरण सुनाकर दिया संदेश

राज्यपाल ने बताया कि मृत्यु भोज तेरहवीं में उन्हें जाने नहीं दिया जाता था। खाने का लालच न लगे इसलिए मां मनपसंद व्यंजन बनाकर रख देती थी। बच्चों को पौष्टिक आहार का संदेश दिया। बताया कि राजभवन परिसर में अमरुद के पेड़ है। उन्होंने खुद फल पास के स्कूल व जरूरतमंदों को बंटवाए।


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