लॉकडाउन की सामान्य दवा की खपत हुई कम
कोरोना संक्रमण की वजह से 25 मार्च का शुरू हुए लॉकडाउन होने के बाद लोग घरों में कैद हो गए। बाजार में सभी दुकानें और फैक्ट्रियां बंद हो गईं।
जेएनएन, शाहजहांपुर: कोरोना संक्रमण की वजह से 25 मार्च का शुरू हुए लॉकडाउन होने के बाद लोग घरों में कैद हो गए। बाजार में सभी दुकानें और फैक्ट्रियां बंद हो गईं। सड़क पर वाहन न के बराबर चलने से प्रदूषण काफी कम हो गया। इसके कम होने से लोग सांस और दमा के मरीजों में कमी आई। वहीं बाहर का खाना नहीं खाने से लोग पेट की बीमारी से ग्रसित नहीं हुए। इससे सामान्य दवाओं की बिक्री कम हुई। सैनिटाइजर और मास्क की डिमांड बढ़ी है।
जीवन रक्षक दवाओं की मांग नहीं घटी
हृदय रोग, मधुमेह, ब्लडप्रेशर और थायराड के मरीजों को रोजाना दवा लेना जरूरी है। इसलिए इसकी बिक्री पर असर नहीं पड़ा। बीच में सप्लाई नहीं होने से दवाओं बाजार में कम हो गई थी, लेकिन अब सामान्य तौर पर मिलने लगीं। फोटो: 26 एसएचएन: 28
सामान्य दिनों की अपेक्षा लॉकडाउन की अवधि में दवाओं की मांग में 15 से 20 प्रतिशत की कमी आई है। जीवन रक्षक दवाओं की मांग बनी हुई हैं। औसत सामान्य तौर पर एक माह में 30 से 40 लाख रुपये की बिक्री हो जाती है। जो कि में घटकर 25 से 35 लाख के बीच रह गई है।
सुनील गुप्ता लॉकडाउन में दवाओं की बिक्री में 20 से 25 प्रतिशत तक की कमी आई है। डॉक्टरों ने क्लीनिक बंद कर रखे हैं। मरीज डॉक्टर से फोन पर परामर्श ले रहे हैं। पिछले साले में अप्रैल की अपेक्षा इस बार इसमें 10 से 20 लाख रुपये तक की गिरावट आई है। फुटकर विक्रेता भी डिमांड के हिसाब से दवा खरीद रहे हैं।
पुरुषोत्तम गुप्ता
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फुटकर विक्रेता से बातचीत
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जीवन रक्षक दवाओं की मांग अधिक है। सामान्य दिनों की अपेक्षा सर्दी, खांसी, बुखार के मरीज कम आ रहे हैं। बिक्री पर काफी असर पड़ा है। 10 से 15 प्रतिशत की कमी आई है।
पुनीत टंडन
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मास्क, सैनिटाइजर आदि की बिक्री बढ़ी है सामान्य दिनों की अपेक्षा बिक्री में कमी आई है। डॉक्टर के पर्चा बगैर दवा नहीं दे रहे हैं। पहले की अपेक्षा मरीज कम हैं।
सुधीर गुप्ता
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प्रदूषण कम होने और बाहर के खानपान नहीं करने से सांस, जुकाम, दमा और पेट, बुखार और सर्दी के मरीजों में काफी कमी आई है।
डॉ. एमएल अग्रवाल, वरिष्ठ फिजीशियन
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- ड्रग विभाग में दवाओं की खरीदारी और ब्रिकी का विवरण नहीं रखा जाता है। दवाओं की दुकान आदि की चेकिग करने का काम रहता है। अगर कोई शिकायत आती है तो उसका निस्तारण किया जाता है।
डॉ. देशबंधु विमल, ड्रग इंस्पेक्टर