सरल-सहज स्वभाव से बनाया सबको मुरीद
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से भाजपा ही नहीं दूसरे दलों के लोगों ने भी शोक प्रकट किया।
जेएनएन, शाहजहांपुर : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से भाजपा ही नहीं दूसरे दलों के नेता भी शोकाकुल हैं। सुषमा स्वराज का जिले के नेताओं से गहरा नाता रहा। वह यहां आयीं थीं। यहां के पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके संपर्क में रहे। जो भी उनसे एक बार मिला वह उनकी सहजता उनकी सरलता का मुरीद हो गया। उनके निधन पर जिले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बात की तो उन्होंने कई संस्मरण साझा किये। 11 अक्टूबर 2000 में सुषमा स्वराज बिनोवा सेवा आयीं थीं। आश्रम के संस्थापक रमेश भैया बताते हैं कि सुषमा स्वराज उस समय केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थीं। उनके पास संचार मंत्रालय भी था। उस समय प्रदेश सरकार में मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के कहने पर वह आश्रम में आयोजित मातृ शक्ति सम्मेलन में पहुंचीं थीं। वे उस दिन बाहर थे। उन्होंने आश्रम में गोमाता, जननी माता और धरती माता को देखा तो कहा कि त्रिमाता के दर्शन हो गये। विमला बहन बताती हैं कि तभी उन लोगों ने त्रिमाता उपासना ट्रस्ट की स्थापना की थी। वह आश्रम में करीब चार से पांच घंटे रुकी थीं। उन्होंने गोशाला का उद्घाटन किया था।
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पार्टी की वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उनका असामयिक निधन संगठन और देश में एक रिक्तता छोड़ गया है। जिसकी पूíत निकट भविष्य में असंभव है। उनके बारे में कहा जा सकता है कुशल राजनीतिज्ञ, लक्ष्य बड़ा, अहं छोटा, ओजस्वी वक्ता, दूरदृष्टा और सर्वहित साधक..। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना का ट्वीट --------------
मैंने संसदीय प्रक्रिया में सुषमा स्वराज से बहुत कुछ सीखा। उन्होंने मुझसे कहा था कि संसद में आप जब कभी बोलने खड़े होते हैं तो किसी की टिप्पणी का जवाब देने की बजाय सिर्फ स्पीकर पर ध्यान दें। एक बार हरियाणा के मेवात इलाके में कई गायों की मौत हो गई थी। वहां प्रतिनिधिमंडल जाना था, जिसका नेतृत्व उन्होंने मुझे सौंपा। वरिष्ठ होने के बाद भी वह मेरे साथ गई थीं। उन्हें शुगर की बीमारी थी। मैंने उनसे कहा कि समय से भोजन सुनिश्चित करें, जिस पर हंसते हुए यही नहीं हो सकता। मैंने अपना समय व जीवन पार्टी को सर्मिपत कर दिया है। मैंने उन्हें दिन के हिसाब से अलग-अलग कपड़ों का रंग तय करने की सलाह दी, जिसे उन्होंने माना।
स्वामी चिन्यामनंद, पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री
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मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे सुषमा जी के साथ सरकार में काम करने का अवसर मिला। उनका व्यक्तित्व प्रेरणा देने वाला था। वह जब भी मिलती थीं बड़े अपनत्व से मिलती थीं। उन्होंने राजनीति में रहते हुए सामाजिक जीवन जिया। दो माह पहले उनके आवास पर मुलाकात हुई थी। वही प्रेम वही स्नेह था वह इतना बड़ा व्यक्तित्व होने के बाद भी काफी सरल व सहज थीं। उनका व्यक्तित्व सिर्फ महिलाओं ही नहीं पुरुषों को भी प्रेरणा देता था। वह भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार जीवंत रहेंगे।
कृष्णाराज, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री