बुखार से हालात बेकाबू, स्ट्रेचर तक मयस्सर नहीं
जिला अस्पताल में बुखार के मरीजों की संख्या अधिक बढ़ने से हालात बेकाबू हो गए हैं।
- ट्रामा सेंटर में मरीजों की भीड़ की वजह से पैर रखने की नहीं जगह
- बेड नहीं मिलने पर मरीज जमीन पर इलाज कराने को मजबूर
- तीमारदार घंटों लाइन में हो रहे खड़े, एक बेड पर दो-दो मरीज
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर: जिला अस्पताल में बुखार के मरीजों की संख्या अधिक बढ़ने से हालात बेकाबू हो गए हैं। मरीजों को इलाज के लिए ट्रामा सेंटर में स्ट्रेचर तक नहीं मिल रहे हैं। जमीन में लेटकर इलाज कराने का मजबूर हैं। एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। बेड के लिए मरीजों को घंटों ट्रामा सेंटर में इंतजार करना पड़ रहा है। सीएचसी और पीएचसी से रेफर ज्यादा मरीज रेफर होकर आ रहे हैं।
संक्रमण की वजह से वायरल, डायरिया, मलेरिया, टाइफाइड के मरीजों की आम दिनों की अपेक्षा दोगुनी ओपीडी हो रही है। ट्रामा सेंटर में अतिरिक्त स्टॉफ की ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन इसके बाद भी स्थिति पर नियंत्रण नहीं हो रहा है। औसतन 10 मिनट में एक मरीज आ रहा है। जिला अस्पताल में पड़े अतिरिक्त बेड भी पुरी तरह से फुल हैं।
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एक सप्ताह में भर्ती मरीजों की संख्या
- तीन सितंबर- 135
- चार सितंबर- 132
- पांच सितंबर- 137
- छह सितंबर - 142
- सात सितंबर- 139
- आठ सितंबर - 126
- नौ सितंबर - 139
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आधे ज्यादा मरीज आते हैं रेफर होकर
जिले की सभी सीएचसी और पीएचसी पर मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल रहा। बुखार से पीड़ित मरीजों तक को जिला अस्पताल भेज दिया जा रहा है। डॉक्टर भी अपने काम के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं। जिस कारण जिला अस्पताल पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। दो दिन में मरीजों की छुट्टी
बेड की किल्लत को देखते हुए दो दिन इलाज करने के बाद मरीजों को दवा देकर उनकी अस्पताल से छुट्टी कर दी जा रही है। तीन दिन बाद दिखाने के लिए बुलाया जाता है। वर्जन: सीएचसी और पीएचसी पर मरीजों का इलाज नहीं होने की वजह से जिला अस्पताल में हालात खराब हो रहे हैं। फिर भी हर मरीज को बेहतर इलाज व बेड देने का प्रयास किया जाता है। हालांकि कि मरीजों को परेशानी तो उठानी ही पड़ती है।
डॉ. एमपी गंगवार, सीएमएस, जिला अस्पताल