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धरातल पर खेल में फेल, अभिलेखों में विद्यालय व विद्यार्थी पास

धरातल पर खेल में फेल अभिलेखों में विद्यालय व विद्यार्थी पास

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2022 11:50 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2022 11:50 PM (IST)
धरातल पर खेल में फेल, अभिलेखों में विद्यालय व विद्यार्थी पास

धरातल पर खेल में फेल, अभिलेखों में विद्यालय व विद्यार्थी पास

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जेएनएन, शाहजहांपुर : माध्यमिक विद्यालयों में खेल से खिलवाड़ हो रहा है। पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय के रूप में खेल के शामिल होने के बावजूद 53 राजकीय माध्यमिक विद्यालय समेत 350 विद्यालयों में खेल शिक्षक नहीं हैं। विद्यार्थियों से सालाना करीब 92 लाख क्रीड़ा शुल्क वसूलने के बावजूद विद्यालयों में आंतरिक, ब्लाक व तहसील स्तरीय खेल प्रतियोगिताएं नहीं कराई जा रही है। नतीजतन जनपद में खेल धरातल पर पूरी तरह फेल है। इसके बावजूद परीक्षा में विद्यालय व विद्यार्थी विशेष योग्यता के साथ पास हो रहे है। सरकार ने खेल को बढावा देने के लिए पाठ्यक्रम में खेल को अनिवार्य विषय बना दिया। व्यवस्था दी कि खेल में फेल होने पर सभी विषयों में फेल माना जाएगा। इस व्यवस्था का सभी ने स्वागत किया। लेकिन धरातल पर खेल को प्रोत्साहन न मिला। विद्यालयों के खेल मैदानों पर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। राजकीय इंटर कालेज का खेल मैदान धरना, प्रदर्शन व धार्मिकों कार्यक्रमों का केंद्र बन गया है। एबी रिच इंटर कालेज का खेल मैदान अतिक्रमण से सिकुड़ गया। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों ने खेल की पूरी तरह उपेक्षा कर दी। 37 सहायता प्राप्त विद्यालयों में मात्र सात विद्यालयों में खेल शिक्षक हैं। वित्तविहीन विद्यालयों में भी खेल शिक्षकों का अभाव है। प्रधानाचार्य व प्रबंधक अन्य विषय के प्रवक्ताओं को खेल प्रभारी बनाकर खेल को प्रोत्साहन देने की कोशिश करते है। लेकिन संसाधनों का अभाव खेल पर भारी पड़ रहा है। प्रतियोगिताओं में कड़ी प्रतिस्पर्धा भी नहीं मिल पा रही है। नतीजतन यहां के बच्चे खेल में पिछड़ रहे है। जबकि शाहजहांपुर की टीमें मंडल, राज्य से लेकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल में जनपद को गौरवान्वित कर चुकी हैं। खेल के बजट में भी खेल विद्यालयों में प्रति विद्यार्थी 60 रुपये सालाना क्रीड़ा शुक्ल वसूल किया जाता है। 1.54 लाख विद्यालयों से करीब 92 लाख रुपये सालाना क्रीड़ा शुल्क जमा होता है। जिला स्तरीय प्रतियोगिताएं होने पर विद्यालय करीब 25 प्रतिशत बजट मुहैया कराते हैं। शेष बजट विद्यालय स्तर पर खर्च कर लिया जाता है। दो साल के कोरोना काल में गतिविधियां सीमित रहीं। इस बार भी 374 स्कूलों में सिर्फ चार स्कूलों ने फुटबाल प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया और तीन घंटे में खेल खत्म हो गया। परीक्षा में आते हैं 80 से 100 प्रतिशत तक अंक यूपी बोर्ड की परीक्षा में शारीरिक शिक्षा व खेल में कोई भी परीक्षार्थी फेल नहीं हुआ है। बल्कि विद्यार्थियों ने खेल संबंधी विषयों में 80 से 100 प्रतिशत तक अंक प्राप्त किए है। अन्य विषयों में फेल छात्र खेल में पास है। इंडोर गेम की भी उपेक्षा जनपद में फुटबाल, हाकी, क्रिकेट, जिम्नास्टिक, तीरंदाजी, जुड़ो-कराटे, कबड्डी, खोखो, बैडमिंटन, तैराकी, बाक्सिंग, निशानेबाजी, टेबल टेनिस आदि खेल की प्रतियोगिताएं होती हैं। लेकिन जनपद में सीमित मैदान में खेले जाने वाले खेल की भी उपेक्षा हो रही है। इंडोर गेम की ओर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ...लेकिन आगे बढ़ रहीं बेटियां सीमित संसाधनों के बावजूद फुटबाल में बालकों की टीम का बेहतर प्रदर्शन है। बैडमिंटन में आर्य कन्या इंटर कालेज की टीम मंडल से नेशनल तक खेल चुकी हैं। इस बार भी टीमें तैयार है। उचित माहौल मिलने पर पढ़ने के साथ खेल में भी आगे बढ़ सकती बेटियां। खेल के लिए विद्यालयों में कोई संसाधन नहीं है। खेल शिक्षकों व कोच भी कमी है। स्टेडियम में खेल की उपेक्षा की जा रही है। ओसीएफ खेल मैदान पर प्रैक्टिस करके कई खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर तक नाम किया है। खेल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मयंक कुमार खेल की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कालेज में खेल किट की भारी कमी है। प्रशासन को कंपनियों के सोशल वेलफेयर फंड से स्कूलों में खेल किट की व्यवस्था करानी चाहिए। औद्योगिक इकाइयां किसी एक खेल को गोद लेकर उसके लिए काम करें। सागर राठौर प्रत्येक विद्यालय में खेलकूद को बढा़वा देने के लिए प्रत्येक विद्यालय में खेल शिक्षक होने चाहिए। 400 छात्रों पर एक खेल शिक्षक का मानक है। लेकिन मानक तो दूर 90 प्रतिशत विद्यालयों में खेल शिक्षक ही नहीं है। सरकार ने खेल को अनिवार्य विषय तो बना दिया, लेकिन न शिक्षक दिए न संसाधन। मेजर अनिल मालवीय, शारीरिक शिक्षा प्रवक्ता खेल के लिए मैदान शिक्षक व किट जरूरी है। प्रत्येक विद्यालय में दस से 15 हजार में सभी खेल किट खरीदी जा सकती हैं। जनपद में फुटबाल की स्थित बेहतर है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक यहां के बच्चे खेल रहे हैं। यह ओसीएफ खेल मैदान की देन है। शासन, प्रशासन को खेल के लिए ठोस कार्य करने चाहिए। दिलीप कुमार शर्मा, जिला सचिव फुटबाल संघ स्कूलों में खेल शिक्षक की नियुक्ति बेहद जरूरी है। खेल किट भी होनी चाहिए। जिन विद्यालयों में खेल मैदान नहीं है, वे इन्डोर गेम करा सकते है। मैं खेल शिक्षक नहीं हूं, लेकिन खेल पर पूरा ध्यान देता हूं। फुटबाल में कालेज की टीम इस बार भी जनपद विजेता बनी है। सभी खेल की टीम हैं। राष्ट्रीय स्तर तक कालेज की टीमें खेल चुकी है। मातादीन वर्मा, प्रभारी खेल शिक्षक ओसीएफ इंटर कालेज खेल मैदान तो नहीं है कालेज में। लेकिन छात्राओं की बैडमिंटन, कबड्डी, खोखो टीमें हैं। बैडमिंटन की टीम राष्ट्रीय स्तर पर भी खेल चुकी है। मंडल व राज्य में भी बेहतर प्रदर्शन रहा है। कालेज में खेल शिक्षकों की कमी है। मैदान भी नहीं है। इससे अपेक्षित तैयारी नहीं हो पाती। जबकि बच्चों में खेल प्रतिभा की कमी नहीं है। वंदना चौरसिया, आर्य कन्या पाठशाला जनपद में खेल शिक्षकों की भारी कमी है। मैदान भी नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम खेलों के प्रति ध्यान न दे। एसपी कालेज के पास भी मैदान नहीं है, लेकिन निशानेबाजी, बाक्सिंग सरीखे खेल के लिए टीम तैयार है। शासन, प्रशासन के साथ अभिभावकों को भी बच्चों को खेल के प्रति प्रेरित करना चाहिए। राहुल सिंह, शारीरिक शिक्षा प्रवक्ता एसपी कालेज खेल के लिए किसी भी विद्यालय में जरूरी संसाधन नही है। खेल मैदान के साथ खेल किट भी अभाव है। क्रीड़ा अध्यापक भी स्कूलों में नहीं हैं। खेल के साथ खिलवाड़ हो रहा है। जबकि बच्चों में खेल प्रतिभा की कमी नहीं। ओसीएफ में खेल मैदान के साथ खेल पर ध्यान दिया जाता। इस कारण टीम आगे रहती है। आरके मिश्रा, प्रवक्ता ओसीएफ इंटर कालेज वर्जन कोरोना संक्रमण की वजह से दो साल खेल की गतिविधियां सीमित रही। खेल शिक्षकों की कमी दूर की जा रही है। खेल कराए जाने का आदेश आ गया है। अब सभी विद्यालयों में खेल गतिविधियां संचालित होगी। खेल में जनपद की टीमें राष्ट्रीय स्तर तक खेलें, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। शौकीन सिंह यादव, जिला विद्यालय निरीक्षक


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