इथेनॉल पॉलिसी: प्रमुख सचिव बोले- चार फीसद चीनी उत्पादन घटाकर डेढ़ गुना बढ़ेगा इथेनॉल
सरकार ने गन्ने से जरूरत के अनुसार चीनी और इथेनॉल बनाने की पॉलिसी बनाई है। गोरखपुर में 800 करोड़ लागत के बायो इथेनॉल उत्पादन प्लांट की मंजूरी दे दी गई है।
बरेली(स्पेशल डेस्क)। गन्ना किसान व चीनी उद्योग सिर्फ चीनी के भाव पर आश्रित नहीं होंगे। इथेनॉल में किसानों की खुशहाली का सार मिल गया है। चीनी मिलें चार फीसद चीनी उत्पादन घटाकर डेढ़ गुना इथेनॉल बढ़ा सकेंगी। पेट्रो कंपनियां इस इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर कच्चे तेल पर खर्च होने वाले डॉलर को भी बचा पाएंगी। सरकार ने गन्ने से इथेनॉल बनाने के लिए पॉलिसी भी बना दी है।
बरेली मंडल के शाहजहांपुर जिले में समीक्षा बैठक को आए प्रमुख सचिव गन्ना विकास व चीनी उद्योग संजय आर भूसरेड्डी ने दैनिक जागरण से बातचीत में यह जानकारी दी। बताया कि मांग के सापेक्ष चीनी उत्पादन बढ़ा है। इससे चीनी का भाव गिर गया। चीनी मिल घाटे की वजह से किसानों को समय से गन्ना बकाया अदा नहीं कर सकी। सरकार ने गन्ने से जरूरत के अनुसार चीनी और इथेनॉल बनाने की पॉलिसी बनाई है। चार फीसद चीनी को कम करने पर डेढ़ गुना इथेनॉल उत्पादन बढ़ेगा। सरकार ने इथेनॉल की कीमत भी बढ़ा दी है। इससे चीनी उद्योग समृद्ध होगा। समय से गन्ना बकाया भुगतान से किसान खुशहाल होंगे।
खोई से भी बनेगा इथेनॉल
गन्ने की खोई समेत पराली, पताई, नरई आदि फसल अपशिष्ट से भी इथेनॉल का उत्पादन होगा। प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि गोरखपुर में 800 करोड़ लागत के बायो इथेनॉल उत्पादन प्लांट की मंजूरी दे दी गई है। 1000 टीसीडी क्षमता के इस प्लांट के सफल होने के बाद प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी प्लांट लगाया जाएगा।
अब यह होगी इथेनॉल व चीनी उत्पादन की प्रक्रिया
अभी तक चीनी उत्पादन के लिए गन्ना पेराई की जाती है। 11 से 12 फीसद तक चीनी का उत्पादन होता। शेष में शीरा व खोई तैयार होती है। अब गन्ने रस से जरूरत के अनुसार चीनी बनेगी। शेष से इथेनॉल के लिए शीरा बनाया जाएगा। शर्करा की अधिक मात्रा होने पर शीरा से इथेनॉल अधिक बनेगा। सरकार इस शीरे के इथेनॉल की कीमत भी ज्यादा देगी। खोई के रसायनिक तत्वों को तोड़कर बायो इथेनॉल बनाया जाएगा।