फटी चादरों से 'झांक' रही मरीजों की बेबसी
जिला अस्पताल से रंगीन चादरें नदारद हो गई हैं। कुछ नीली चादरों को छोड़कर सफेद चादरों ने इनकी जगह ले ली है इनमें से भी कुछ फटहाल स्थिति में हैं।
जेएनएन, शाहजहांपुर: जिला अस्पताल से रंगीन चादरें नदारद हो गई हैं। कुछ नीली चादरों को छोड़कर सफेद चादरों ने इनकी जगह ले ली है, इनमें से भी कुछ फटहाल स्थिति में हैं। चादरें कई-कई दिन तक बदलीं नहीं जा रही हैं। मरीजों की शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
जिला अस्पताल तीन सौ बेड का है। स्वास्थ्य विभाग ने एक नियम लागू किया था कि प्रत्येक दिन अलग-अलग रंग की चादर मरीजों के बेड पर बिछाई जाएंगी। इससे पारर्दिशता रहेगी कि रोजना चादर बदली जा रही है। करीब दो साल पहले जिला अस्पताल प्रशासन ने दो हजार से अधिक चादर खरीदी थीं। कुछ दिनों तक चादरों को बदला गया। लेकिन धीरे-धीरे यह बिछना बंद हो गई। अब बची कुछ नीली और ज्यादातर सफेद चादरों से ही काम चलाया जा रहा है।
लोगों की शिकायत
फोटो: 15 एसएचएन: 4
मेरा मरीज तीन दिन से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती है, कई बार स्टाफ से चादर बदलने के लिए कहा, लेकिन बदली नहीं गई।
देवेंद्र कुमार, गोला, लखीमपुर खीरी
---------
फोटो: 15 एसएचएन: 5
मेरा मरीज पिछले आठ दिन से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती है। चादर बदलने के लिए स्टाफ नर्स से कहा तो उन्होंने कहा कि वार्ड ब्वॉय आएगा तो बदली जाएंगी।
पुनीत मिश्रा, बहादुगंज
-----------
फोटो: 15 एसएचएन:6
मेरा मरीज पिछले सात दिन से भर्ती है सिर्फ एक बार चादर बदली गई। इसके बाद कहा, लेकिन अनसुना कर दिया गया।
वर्मा देवी, रोजा
---------
फोटो: 15 एसएचएन: 7
मेरा भाई पिछले तीन दिन से अस्पताल में भर्ती है। चार काफी गंदी होने के बाद भी नहीं बदली जा रही। शिकायत को अनसुना कर दिया गया।
रजनीश, केरूगंज
-------------
वर्जन: मेरे कार्यकाल से कुछ समय पहले रंगीन चादरों का नियम लागू हुआ था, लेकिन बार-बार धुलने की वजह से उनका रंग उड़ गया। इसलिए अब ज्यादातर सफेद चादरों का प्रयोग किया जा रहा है। इनको रोजाना बदले का नियम है।
डॉ. एमपी गंगवार, सीएमएस जिला अस्पताल