फांसी से पहले प्रायश्चित, जेल में तिरंगा बनाने में जुटा कैद
अजयवीर सिंह, शाहजहांपुर : बालक की हत्या के दोषी को फांसी की सजा हुई तो प्रायश्चित करने लगा। कानून तोड़ने पर सलाखों के पीछे आया तब एहसास हुआ कि नियम-कानून का पालन करना कितना जरूरी है। स्वतंत्रता दिवस मनाने की बारी आई तो उसने खुद प्रस्ताव दिया कि तिरंगा ध्वज बनाना चाहता है, जिन्हें फहराने के बाद लोग आजादी के उल्लास का एहसास कर सकें। कहता है कि आजाद देश में सभी को जीने का अधिकार है, मुझसे जो हुआ वह कानून का उल्लंघन था।
जल्लापुर गांव निवासी मनोज कुमार ने 28 जनवरी 2015 को पड़ोसी गांव निकुर्रा निवासी रामवीर के पांच वर्षीय बेटे अनमोल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मनोज के पते पर फर्जी वोट बनवाने की शिकायत पर वह रंजिश मान बैठा था। पिछले वर्ष 24 नवंबर को उसे फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। जेल प्रबंधन के अनुसार, वह आए दिन अपने किए पर पश्चाताप करता है। आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पूरे देश में हर घर तिरंगा लगाने के अभियान की जानकारी हुई तो मनोज ने ध्वज बनाने की इच्छा जताई। एक सप्ताह पहले तय हुआ कि जेल में आठ हजार ध्वज बनाए जाएंगे। इस काम में मनोज सबसे पहले शामिल हुआ। अब तक वह एक हजार ध्वज बना चुका है। जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि महिला समेत कई अन्य बंदी भी ध्वज बना रहे हैं। इनमें 1500 शाहजहांपुर कैंट और 1200 ध्वज कानपुर कैंट में सेना के जवानों के लिए भेजे जाएंगे। यह पहला अवसर है जब बंदियों के बनाए ध्वज सैन्य क्षेत्रों में फहराए जाएंगे। कारागार मुख्यालय, लखनऊ में 50 बड़े झंडा भेजे जाएंगे। एसपी एस आनंद ने 2500 झंडे मांगे हैं। सीतापुर व हरदोई जेल में भी एक-एक हजार झंडे भेजे जाएंगे। मनोज इसी वर्ष उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल की परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ। 600 में 386 अंक प्राप्त कर उसने प्रथम श्रेणी प्राप्त की थी।
सजायाफ्ता कैदी मनोज की देखरेख में बंदी तिरंगा बना रहे हैं। बंदियों के ऐसे कार्यों में व्यस्त रखकर उन्हें मानसिक तनाव से दूर रखने का प्रयास किया जाता है।
- मिजाजी लाल, जेल अधीक्षक