कृषि विभाग ने डकारे किसानों के 65 लाख, छह साल बाद भी नहीं किया भुगतान
जेएनएन, शाहजहांपुर : दशक भीतर दूसरी बार सूखा ने दस्तक दे दी है। लेकिन छह वर्ष पूर्व सूखा राहत के तहत किसानों के लिए भेजे गए अनुदानित गेहूं बीज का कृषि विभाग ने करीब 65 लाख का अभी तक भुगतान नहीं किया। घोटाला होने पर यह धनराशि विभाग के दो कर्मचारी तथा उनके स्वजन व रिश्तेदारों के खाते से वापस ली गई थी। गुनाहगार तो नौकरी कर रहे है, लेकिन किसान आज तक हक के लिए भटक रहे है।
मामला 2015-16 का है। शासन ने सूखा पड़ने पर 2015-16 में यहां रवी सीजन में दो हजार रुपये प्रति क्विंटल अनुदान के साथ 17 हजार 900 क्विंटल गेहूं का बीज भेजा था। जिसे 14407 किसानों में वितरित दर्शाया गया। इसमें कृषि विभाग ने 9811 क्विंटल बीज 8795 कृषकों को वितरित दर्शाया। लेकिन 4083 क्विंटल बीज को लेकर घपला हो गया। 2272 किसानों को वितरित दर्शाए गए बीज के सापेक्ष लिए गए चेक में 1952 पोस्टडेटेड चेक गायब हो गए। तत्कालीन जिला कृषि अधिकारी की ओर से निर्धारित एक हजार प्रति क्विंटल की धनराशि सरकारी कोष में जमा करा दी गई। लेकन शेष धनराशि में खेल हो गया। इसी का फायदा विभाग में कार्यरत लिपिकों ने उठाया। उन्होंने पति, सास, ससुर, साढू, बहन समेत रिश्तेदारों के खाते में 44 बार में करीब 63 लाख की धनराशि भेज कर गबन कर लिया।
मामले की भनक लगने पर तत्कालीन उप कृषि निदेशक राधाकृष्ण यादव ने थाना रोजा में लिपिकों के खिलाफ पांच जुलाई 2016 को एफआइआर दर्ज कराई। इलाहाबाद बैंक प्रबंधक के वरिंदर सिंह की मदद से एक सप्ताह के भीतर करीब 60 लाख की रिकवरी करा ली। उप कृषि निदेशक के स्थानांतरित के बाद दूसरी एफआइआर नौ जुलाई 2016 को तत्कालीन उप कृषि निदेशक दर्शन सिंह राजपूत की ओर से दर्ज कराई गई। पटल प्रभारी नवनीत राठी तथा संबंधित लिपिक सचिन गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। शासन ने तत्कालीन उप कृषि निदेशक राधाकृष्ण यादव को अनियमितताओं का दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया। गत वर्षों ने दोनों लिपिक जमानत पर छूटने के बाद बहाल होकर ड्यूटी करने लगे। उप कृषि निदेशक बहाली के बाद सेवा निवृत्त हो गए। लेकिन 2272 किसानों को उनका पैसा आज तक वापस नहीं किया गया।
सूखा राहत समेत दो हजार प्रति क्विंटल था अनुदान
शासन ने सूखा होने पर किसानों को तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल का बीज मात्र एक हजार रुपये नकदी देने पर मुहैया कराया। इसमें 1400 रुपये प्रति क्विंटल सामान्य अनुदान तथा 600 रुपये सूखा राहत का था। प्रत्येक किसान को अधिकतम दो क्विंटल बीज मुहैया करने की गाइड लाइन नियत थी। बिचौलियों की मदद से अधिकांश बीज बाजार में बेच कर घोटाला कर लिया गया। जिन किसानों ने पूरे दाम में बीज लिया उनका मूल भी वापस नहीं मिला।
यह थी बीज वितरण की व्यवस्था
शुरुआत में तीन हजार रुपये नकद में बीज बिक्री कर किसानों के खाते में दो हजार की धनराशि भेजी गई। इससे बीज का उठान कम होने पर सरकार ने किसानों से दो हजार रुपये के एक माह एडवांस के पोस्टडेटेड चेक लेकर एक हजार रुपये नकद लेकर बीज मुहैया करा दिया। करीब 1952 किसानों के चेक गुम बताकर उनकी धनराशि का घपला कर लिया गया।
दो एफआइआर, तीन बार जांच के बाद भी किसानों का भला नहीं
शासन स्तर से मामले की तीन बार जांच हुई। पुलिस की ओर से भी दो एफआरआर दर्ज जांच की गई। लेकिन न तो जांच में किसानों को खोजा गया और नही उनकी ओर से दिए गए चेक की जांच हुई। नतीजतन किसानों को उनका हक अभी तक नहीं मिल सका।
मैने 2016 में छह हजार रुपये नकद जमा कर अनुदान पर दो क्विंटल गेहूं बीज लिया था। कहा गया था कि खाते में चार हजार रुपये भुगतान आ जाएगा। लेकिन आज तक पैसा नही आया।
शरीफ खां
कृषि विभाग कर्मचारी घर आए थे। उन्होंने एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बीज की बात की थी। बताया था कि चार हजार रुपये खाते में आ जाएंगे। लेकिन पैसा नहीं मिला।
अख्तरी बेगम
विशेष सचिव कृषि मामले की जांच कर रहे है। तीन माह पूर्व शासन को पत्र भी लिखा गया, जिसमें कहा गया कि किसान पैसे की मांग कर रहे हैं, इसलिए उन्हें दिलाया जाए। लेकिन अभी तक शासन से कोई गाइड लाइन नहीं मिली है। आत्मा खाते में करीब 65 लाख की धनराशि सुरक्षित है।
धीरेद्र सिंह, उप कृषि निदेशक
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17900 क्विंटल गेहूं का 2016 में हुआ था एक हजार रुपये की दर से वितरण
9811 क्विंटल गेहूं बीज कृषि विभाग ने बांटा था 8795 कृषकों में
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20 क्विंटल गेहूं बीज 25 किसानों को आइएफएफडीसी की ओ से वितरित किया गया।