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20 फीसद से अधिक हादसों का कारण जर्जर वाहन

प्रशासन की अनदेखी की वजह से अनफिट वाहन से लेकर जुगाड़ वाहन सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं लेकिन अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय अंाख मूंदे बैठे हैं। जिले में 20 फीसद से अधिक हादसे जर्जर वाहनों की वजह से हो रहे है जिसमें लोग जान भी गवां रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 01:05 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 01:05 AM (IST)
20 फीसद से अधिक हादसों का कारण जर्जर वाहन

जेएनएन, शाहजहांपुर : प्रशासन की अनदेखी की वजह से अनफिट वाहन से लेकर जुगाड़ वाहन सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं, लेकिन अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय अंाख मूंदे बैठे हैं। जिले में 20 फीसद से अधिक हादसे जर्जर वाहनों की वजह से हो रहे है, जिसमें लोग जान भी गवां रहे हैं।

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वाहनों के लिए अनिवार्य सुरक्षा मानकों का जिले में पालन नहीं हो रहा है। कागजी कार्रवाई को पूरा करने के लिए परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस चालान के नाम पर खानापूर्ति कर लेती है, लेकिन यह कार्रवाई भी राष्ट्रीय राजमार्गों पर दिखाई नहीं पड़ती है। जिस वजह से अधिकांश व्यावसायिक बड़े वाहनों से लेकर कार, साइकिल, ट्रैक्टर-ट्रॉली, ट्रक आदि हादसे का कारण बन रहे हैं। 23 नवंबर को तिलहर थाना क्षेत्र के नगरिया मोड़ पुलिस चौकी के पास बोलेरो का स्टेयरिग फेल होने से गाड़ी पेड़ से टकरा गई। हादसे में अयोध्या जिले के नौ लोग घायल हो गए थे। इसी तरह मिर्जापुर व पुवायां क्षेत्र में बीते दो दिनों में कइ्र हादसे हुए, जिसमे चालक पूरी तरह से वाहनों पर अपना नियंत्रण खो बैठा।

आल वेदर वल्ब मशीन

दिसंबर से फरवरी माह तक यातायात के लिए कोहरा सबसे बड़ी मुसीबत बनता है। ऐसे में परिवहन विभाग की ओर से सभी बसों में ऑल वेदर बल्व लगाने के निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन जिले में लंबीदूरी की बसों को छोड़ अधिकांश में यह वल्ब नहीं लगे हैं। जिससे हादसे का खतरा भी बना रहता है।

क्षमता पर भी नहीं किसी का ध्यान

जिले में डग्गामार भी खूब दौड़ रहे है। जिसमे क्षमता से अधिक लोगों को बैठाया जाता है। यह वाहन सिधौली, खुटार, पुवायां, बंडा, तिलहर, मीरानपुर कटरा आदि थाना क्षेत्रों में वाहन थानों के ठीक सामने से निकल जाते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती।

ट्रैक्टर चालकों पर नहीं दिया जा रहा ध्यान

जिले में 26975 ट्रैक्टर हैं, लेकिन इनकी फिटनेस से लेकर लाइसेंस देखने तक की किसी अधिकारी को फुर्सत नहीं है। ऐसे में मनमाने ढंग से सड़कों पर ट्रैक्टर ओवरलोड सामान भरकर फर्राटे भर रहे हैं, जिस वजह से यह हादसे का कारण भी बन रहे हैं।

वर्जन

सभी 13 नियमों को पूरा करने के बाद ही बसों को वर्कशॉप से रवाना किया जाता है। अधिकांश बसों में आल वेदर बल्व लगे हैं। जो बाकी है उनमें भी जल्द लगवा दिए जाएंगे। हर चक्कर में फिटनेस को चेक किया जाता है।

एसके वर्मा, एआरएम कोरोना की वजह से 31 दिसंबर तक वाहन चालकों को फिटनेस के लिए मोहलत मिली है। चालकों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। जुगाड़ वाहनों के पकड़े जाने पर उन्हें सीज कर चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

मनोज कुमार वर्मा, उप संभागीय अधिकारी


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