मिट्टी के बने बर्तनों पर दिखाएंगे अपनी कला
18 साल से 50 वर्ष के ऐसे प्रवासी कामगार सहित अन्य ऐसे कारीगर जिन्हें मिट्टी से कुल्हड़ गुलक गमला सहित अन्य सामान बनाना आता है उन्हें कुम्हारी कला को और विकसित करने व उद्योग स्थापित करने के लिए सस्ते ब्याज दर पर दस लाख रुपये तक का कर्ज मिलेगा।
संत कबीरनगर : देश के महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान सहित अन्य प्रांतों से जिले में वापस लौटे प्रवासी कामगारों के लिए अच्छी खबर है। 18 साल से 50 वर्ष के ऐसे प्रवासी कामगार सहित अन्य ऐसे कारीगर जिन्हें मिट्टी से कुल्हड़, गुलक, गमला सहित अन्य सामान बनाना आता है, उन्हें कुम्हारी कला को और विकसित करने व उद्योग स्थापित करने के लिए सस्ते ब्याज दर पर दस लाख रुपये तक का कर्ज मिलेगा। इससे ये मिट्टी के बने बर्तनों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर सकेंगे। अच्छी आमदनी हासिल कर सकेंगे। जिला प्रशासन मिट्टी कला से जुड़े लोगों की सूची भी तैयार कर रहा है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में अभी तक 200 कारीगर है, जो मिट्टी कला से जुड़े हैं। प्रशासन कुछ और लोगों को भी ढूंढ रहा है जो इस कार्य में रुचि रखते हों। 50 साल से यही है रोजी-रोटी का साधन
खलीलाबाद तहसील क्षेत्र के बड़गो गांव के निवासी 72 वर्षीय मनोहर प्रजापति ने कहा कि वे 50 साल से चाक पर मिट्टी से कई सामान तैयार कर रहे हैं। यही उनकी रोजी-रोटी का साधन है। गुल्लक-10 से 12 रुपये, मेटिया-15 से 20 रुपये, मिट्टी की कराही-10 से 15 रुपये, मिट्टी की हौदी-40 से 45 रुपये, कुल्हड़ का भाव मांग पर निर्भर है। उन्हें अभी तक किसी योजना का लाभ नहीं मिला। वित्तीय सत्र 2019-20 से प्रारंभ हुई मुख्यमंत्री माटी कला योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं मालूम। जनपद की ये है स्थिति
जनपद की कुल आबादी-लगभग 20 लाख
माटी कला से जुड़े कारीगरों की संख्या-200
खलीलाबाद तहसील में कारीगर-40
धनघटा तहसील में कारीगर-70
मेंहदावल तहसील क्षेत्र में कारीगर-90
अब तक मुफ्त में चाक प्राप्त करने वाले कारीगर-05 माटीकला से जुड़े इच्छुक कारीगर आफलाइन या आनलाइन 27 जून 2020 तक आवेदन जमा कर सकेंगे। साक्षात्कार में पास होने पर उन्हें योजना से लाभान्वित कराया जाएगा।
ध्यान चंद्र-जिला ग्रामोद्योग अधिकारी