भागवत कथा सुनने में सच्चा सुख -आचार्य राजकुमार
संतकबीर नगर : श्रीमछ्वागवत एक ज्ञान यज्ञ है। यह मानवीय जीवन को रसमय बना देता है। भगवन कष्ष्ण की अछ्व
संतकबीर नगर : श्रीमछ्वागवत एक ज्ञान यज्ञ है। यह मानवीय जीवन को रसमय बना देता है। भगवन कष्ष्ण की अछ्वूत लीलाओं का वर्णन इसमें समाहित है। भव-सागर से पार पाने के लिये श्रीमछ्वागवत कथा एक सुन्दर सेतु है। श्रीमछ्वागवत कथा सुनने से जीवन धन्य-धन्य हो जाता है। जिसने भागवत का प्रथम श्लोक का अर्थ समझ लिया उसे पूरी भागवत समक्ष में आ जाएगी।
यह बातें मंगलवार को मुंबई से पधारे मानस मर्मज्ञ आचार्य राजकुमार शास्त्री ने कहीं। वे समय माता मंदिर परिसर में तीसरे दिन भागवत कथा का रसपान करा रहे थे। उन्होंने कहा कि इस पुराण में 18 स्कन्ध एवं 335 अध्याय हैं। ब्यासजी ने 17 पुराणों की रचना कर ली लेकिन श्रीमछ्वागवत कथा लिखने पर ही उन्हें सन्तोष
हुआ। फिर ब्यास जी ने अपने पुत्र शुकदेव जी को श्रीमछ्वागवत पढ़ायी, तब शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को जिन्हें सात दिन में मरने का श्राप मिला, उन्हें सात दिनों तक श्रीमछ्वागवत की कथा सुनायी। जिससे राजा परीक्षित को सात दिन में मोक्ष की प्राप्ति हुई। श्लोकों में जीवन के कई रहस्य व सिद्धांत छिपे हैं। इसमें भगवान के अवतारों की कथाओं के जरिए जीवन में कर्म और अन्य शिक्षाओं को पिरोया गया है।
कथा व्यास ने कहा कि द्वापर के समाप्ति के उपरांत कलयुग के आगमन परीक्षित के जन्म, राज्याभिषेक की कथा, विदुर के उपदेश, धृतराष्ट्र और गंधारी के वन प्रस्थान की कथा प्रसंग सुनाया।
उन्होंने कहा कि भगवान के भजन करने के लिये ही हमें यह जीवन मिला है और श्रीमछ्वागवत कथा से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण हो जाती है।
इस मौके पर आचार्य डा. रामसुभग ओझा, लालबाबा बालक दास, त्रयम्बक त्रिपाठी, ¨वदेश्वरी प्रसाद मिश्र, काली प्रसाद पांडेय, पं. कृष्ण कुमार पांडेयख् रामनारायण उपाध्याय, अजय शास्त्री, विवेक राय, लक्की वर्मा, संतोष दास,विजय प्रकाश मिश्रा, केशरीनंदन राय, सतेंद्र राय, भोलू उपाध्याय, ईश्वर जायसवाल, विवेक छापडिया, चंद्रशेशकर त्रिपाठी, संगीता, रेनू, प्रमिला, प्रियात्मा पांडेय, ममता, माया दूबे आदि मौजूद रहे।