तीन तलाक विधेयक:सराहना तो कहीं विरोध
तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में पास होने को लेकर कहीं सराहना तो कहीं विरोध की बात हो रही है। इसे लेकर अल्पसंख्यक समाज में मिलीजुली प्रतिक्रिया रही महिलाओं ने इसे अधिकारों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया। तो कुछ लोगों ने इसे शरीयत के खिलाफ बताया। जागरण की पड़ताल में लोगों की प्रतिक्रिया कुछ इस तरह सामने आई।
संतकबीर नगर:तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में पास होने को लेकर कहीं सराहना तो कहीं विरोध की बात हो रही है। इसे लेकर अल्पसंख्यक समाज में मिलीजुली प्रतिक्रिया रही महिलाओं ने इसे अधिकारों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया। तो कुछ लोगों ने इसे शरीयत के खिलाफ बताया। जागरण की पड़ताल में लोगों की प्रतिक्रिया कुछ इस तरह सामने आई। नहीं झ़ेलना पड़ेगा तलाक का दंश
बखिरा क्षेत्र निवासिनी मोमिना खातून और आमिना खातून ने कहा कि मंगलवार का दिन उनके लिए खुशियां लेकर आया। तीन तलाक का कानून पास होने से तलाकशुदा महिलाओं को इंसाफ मिल सकेगा। मर्दों द्वारा महज तीन बार महज तलाक कह देने से महिलाएं सारे हक से वंचित कर दी जाती थीं। कानून बन जाने से मुस्लिम महिलाओं को जिदगी जीने का एक नया रास्ता मिलेगा। जाहिदा और तारा महबूब ने कहा कि तीन तलाक ने महिलाओं की जिदगी को नरक बना दिया था। मोबाइल से दिया हुआ तलाक भी जेहन में एक खौफ पैदा करता था। डा. अख्तर अंसारी ने राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने को हिदुस्तान की महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कार्य बताया।
मजहब के खिलाफ है तीन तलाक विधेयक
आल इंडिया उलमा बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष शोएब अहमद नदवी ने इसे जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बताते हुए पुनर्विचार करने की मांग की। रिजवान मुनीर और
फुजैल अहमद नदवी ने इसे मजहब विरोधी बताते हुए निरस्त करने की मांग की। सैय्यद मो. निजाम अशरफ और सलमान आरिफ ने कहा कि यह कानून मुस्लिम परिवारों को परेशानी में डालने वाला है। उन्होंने कहा कि पहले ही इस्लाम में तलाक को बहुत बुरा कहा गया है परंतु जब परिवार संकट में आ जाए तो इसकी जरूरत भी पड़ जाती है। सभी ने सरकार से इसे लेकर रायशुमारी करवाने के बाद लागू करने की मांग की।