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रंग लाई पहल, 31 वर्ष बाद शहीदुन्निशा को मिला न्याय

31 वर्ष पुराने वरासत के मामले में भी एसडीएम कोर्ट ने फैसला सुनाकर पीड़ित शहीदुन्निशा को न्याय दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Aug 2021 12:06 AM (IST)Updated: Fri, 27 Aug 2021 12:06 AM (IST)
रंग लाई पहल, 31 वर्ष बाद शहीदुन्निशा को मिला न्याय

संतकबीर नगर : दशकों से कोर्ट-कचहरी की खाक छानने वाले कदमों को उपजिलाधिकारी मेंहदावल की कोर्ट ने राहत दी है। एसडीएम अजय कुमार त्रिपाठी की पहल पर एक दिन में 124 मामलों का निपटारा हुआ है। इसमें 31 वर्ष पुराने वरासत के मामले में भी एसडीएम कोर्ट ने फैसला सुनाकर पीड़ित शहीदुन्निशा को न्याय दिया है।

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बार व बेंच के आपसी सामंजस्य से बेहतर व सकारात्मक परिणाम मेंहदावल तहसील में देखने को मिला है। उपजिलाधिकारी न्यायालय में एक दिन में 85 मुकदमें, 229 बी और 176 का एक वाद, धारा 24 भूमि पैमाइश के 11 और अन्य धाराओं के 30 मुकदमें एक दिन में निपटाए गए हैं। इससे पूर्व भी आठ माह पूर्व एसडीएम कोर्ट के द्वारा एक दिन 100 मामले निपटाए गए थे। केस एक- एहसानुल्लाह बनाम शहिदुन्निशा निवासी वीरनजोत बेलहर ने बीते 1990 में वरासत के मामले को लेकर तहसील की निचली अदालत में मुकदमा दाखिल किया था। एहसानुल्लाह ने शहिदुन्निशा को वरासत के लिए अपात्र बताते हुए खतौनी से बेदखल करने की मांग की थी। नायब तहसीलदार और तहसीलदार कोर्ट से होते हुए मामला उपजिलाधिकारी कोर्ट पहुंचा था। सुनवाई के दौरान उपजिलाधिकारी कोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता एहसानुल्लाह की मांग गलत है। एसडीएम ने शाहिदुन्निशा के पक्ष में फैसला सुनाया। 31 वर्ष की लंबी लड़ाई के बाद शाहिदुन्निशा को न्याय मिला। केस दो- रामप्रकाश बनाम दलजीत निवासी सांडे कला मेंहदावल का बंटवारे का मामला उपजिलाधिकारी कोर्ट में बीते 2010 से चल रहा था। मेगा अदालत में एसडीएम ने गुण-दोष के आधार पर सुनवाई की। बंटवारे के मामले में उन्होंने फैसला सुनाकर 11 साल के मामले का निस्तारण कर दिया। केस तीन- बेचन निवासी घुरापाली थाना मेंहदावल ने पैमाइश के मामले को लेकर उपजिलाधिकारी कोर्ट में वाद दाखिल किया था। यह मामला बीते 2016 से चल रहा था। पांच वर्ष बाद इस मामले में फैसला आया। पैमाइश के लिए उपजिलाधिकारी कोर्ट ने निर्णय देकर बेचन को कोर्ट-कचहरी की दौड़ से मुक्ति दिलाई। केस चार- श्रीराम बनाम बृजलाल निवासी मेंहदूपार थाना धर्मसिंहवा का खतौनी सुधार का मामला बीते 2018 से उपजिलाधिकारी कोर्ट में था। खतौनी सुधार के मामलों में भी तीन वर्ष तक का समय लगा। इस मामले को भी उपजिलाधिकारी कोर्ट ने फैसला सुनाकर पीड़ित को न्याय दिया। लोगों को छोटी-छोटी गलतियों को लेकर तहसील का चक्कर न लगाना पड़े इसको लेकर मेगा अदालत लगाया गया। बार व बेंच के आपसी सामंजस्य से एक दिन में 124 मामलों का निपटारा हुआ। इस कदम से 124 लोगों के चेहरे पर मुस्कान आई है। अब लोगों को बेवजह कोर्ट-कचहरी की खाक नहीं पड़ेगी। इस प्रकार की पहल जनहित में बेहद आवश्यक है।

अजय कुमार त्रिपाठी, उपजिलाधिकारी, मेंहदावल।


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