खुद बने आत्मनिर्भर, दूसरों को भी दे रहे रोजगार
संतकबीर नगर पर्यावरण प्रदूषण के दौर में फलदार वृक्ष लगाकर पर्यावरण के सारथी बने अखंड प्रताप खुद तो आत्मनिर्भर बने ही दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।
संतकबीर नगर : पर्यावरण प्रदूषण के दौर में फलदार वृक्ष लगाकर पर्यावरण के सारथी बने अखंड प्रताप खुद तो आत्मनिर्भर बने ही दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।
धर्मसिंहवा क्षेत्र के हरैया गांव निवासी अखंड प्रताप सिंह ने फलदार वृक्षों के सहारे तरक्की की नई इबारत लिख रहे है। एक दशक पूर्व पैतृक भूमि पर 30 एकड़ में सैकड़ों की संख्या में गौरजीत, दशहरी, कपुरी, चौसा, लंगड़ा आदि प्रजाति के आम संग लीची व कटहल पेड़ों से प्रतिवर्ष 25 लाख रुपये की आमदनी भी कर रहे हैं। बागवानी पर प्रतिवर्ष पांच लाख रुपये खर्च कर अखंड प्रताप क्षेत्र के 25 लोगों को पूरे वर्ष रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। हर वर्ष 500 पौधा रोपना उनकी लक्ष्य है। इस पर वे पांच वर्ष से खरे उतर रहे हैं। खाली जगहों पर पौधारोपण उनका शगल है। पौधारोपण संग वे गांव के लोगों को हरियाली बढ़ाने के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं। उनके पिता स्व. देवेंद्र सिंह भी बागवानी करते थे। उन्हीं के बताए रास्ते पर चलकर वह पर्यावरण को मजबूती दे रहे हैं।
उनको विभिन्न मंचों से कई बार सम्मान भी प्राप्त हो चुका है।
बाबू साहब के नाम से प्रसिद्ध उनके बाग में 25 लोग नियमित काम करते हैं। कामगारों को आठ से लेकर 12 हजार रुपये मानदेय देते हैं। आम के सीजन में कामगारों की संख्या 50 तक पहुंच जाती है। सूखी टहनियां, सूखे पत्ते निकालने का काम अनवरत चलता है। पेड़ों को सेहतमंद बनाने के लिए जोताई व पानी चलाने का काम भी लगातार होता है।
लगन संग परिश्रम से मिल रही सफलता
अखंड प्रताप बताते हैं कि पैतृक भूमि पर खेती करने से लाभ बहुत कम होता था। पिता के बताए बागवानी के रास्ते पर चलने का बेहतर परिणाम निकला और हर वर्ष करीब 25 लाख रुपये की आय होने लगी। दवा, बीज का चुनाव व समय से उनका उपयोग सफलता की राह आसान बनाता है। उत्तम तकनीकि से फलदार वृक्ष लगाकर हर किसान अपनी आय चार गुना बढ़ा सकता है।