ऐसे तो अस्तित्व ही खो देगा प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र
संतकबीर नगर: एक तरफ सरकार द्वारा अस्पताल से ही मरीजों को अधिक से अधिक दवाएं दिए जाने के साथ ही कम दर
संतकबीर नगर: एक तरफ सरकार द्वारा अस्पताल से ही मरीजों को अधिक से अधिक दवाएं दिए जाने के साथ ही कम दर पर दवा उपलब्ध करवाने के लिए प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। इस क्रम में जिला संयुक्त चिकित्सालय परिसर में जन औषधि केंद्र खोला गया है। उक्त केंद्र से अस्पताल में जो दवाएं मौजूद नहीं होती हैं उन्हें कम दर पर उपलब्ध करवाए जाने की व्यवस्था है। सरकारी स्तर से दवा की दुकान खुलने के बाद भी यहां दवा खरीद करने के लिए इक्का-दुक्का लोग ही दिखते हैं इसके साथ ही परिसर से बाहर खुली दुकानों पर अच्छी खासी संख्या देखी जाती है।
प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र के प्रति मरीजों की उदासीनता को लेकर शुक्रवार को पड़ताल किया गया तो लोगों ने अपनी राय व्यक्त की। अधिकांश लोगों ने चिकित्सकों द्वारा बाहर की दुकानों पर मिलने वाली दवाओं की पर्ची लिखे जाने को प्रमुख कारण बताया। चिकित्सकों के कक्ष के बाहर दवा की दुकान संचालकों के कमी मौजूद रहते हैं जो मरीज के तीमारदारों को अपने साथ ले जाकर दवाएं दिलाने के लिए बरगलाते हैं। विभिन्न कंपनियों द्वारा दवाओं की बिक्री करवाने पर पूरे चैनल में शामिल लोगों को मोटी कमीशन भी दी जाती है। दबी जुबान अनेक लोगों ने बताया कि हर डाक्टर की दवा की दुकानों से से¨टग होती है। हर दुकानों पर सबकी लिखी पर्ची की दवा नहीं मिल सकती है। दवाओं को लेकर देखा जाय तो प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र और बाहर की दुकानों पर एक समान साल्ट की दवाओं के मूल्य में दो से तीन गुने का अंतर सामने आता है। केंद्र संचालक रितेश्वर श्रीवास्तव ने बताया कि केंद्र पर पैरासीटामाल पां रुपये स्ट्रिप मिलती है जबकि बाहर इसका दाम 15 रुपये है। रैबीपेराजोल डीएसआर 14 रुपये पत्ता है जबकि बाहर सह 140 से 150 में मिलती है। एमाक्सीसिलीन 52 रुपये पत्ते है जबकि बाहर 250 रुपये है। एंटासिड सीरप 47 रुपये के सापेक्ष बाहर 100 रुपये, सीनेटरी पैड 10 रुपये पैकेट है जबकि बाहर 55 रुपये, बीटाडीन मरहम का लोशन 18 रुपये के सापेक्ष बाहर 100 रुपये में बिकती है। उन्होंने कहा कि नाम का अंतर होने मात्र से दवाओं की खरीद में लोगों को गहरी चपत झेलनी पड़ रही है।
इस बारे में सीएमओ डा. हरिगो¨वद ¨सह ने कहा कि बाहर की दवाओं को लिखने पर पूरी तरह से रोक है। इसे लेकर उन्होंने सीएमएस को पत्र भेजकर कड़ाई से नजर रखने को कहा है। कहीं से भी यदि लापरवाही सामने आएगी तो सम्बंधित चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।