¨पडदान देकर पितरों का हुआ विसर्जन
संतकबीर नगर : बुधवार को ¨पडदान करके अपने पूर्वजों व पितरों को ¨पडदान देकर पितृ विसर्जन ि
संतकबीर नगर : बुधवार को ¨पडदान करके अपने पूर्वजों व पितरों को ¨पडदान देकर पितृ विसर्जन किया गया। श्रद्धापूर्वक देवी स्वधा की आराधना करके ज्ञात-अज्ञात पितरों की संतुष्टि की प्रार्थना करके विदाई दी गई। ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-पुण्य किया गया। पितृदेव से जाने-अनजाने में हुई भूल की क्षमा मांगकर सुख, समृद्धि व मंगल की कामना की।
प्राचीन काल से पूर्वजों को याद कर उनके प्रति श्रद्धा व समर्पण की भावना प्रदर्शित करने की परंपरा है। परंपरा के अनुसार घर के बड़े बुजुर्ग पंडितों के दिशा निर्देशन में ¨पडदान किया। स्वयं के साथ परिवारजनों के मंगल की कामना कर उनका आशीष मांगा। आस्थावानों ने मुंडन आदि कराकर ब्राह्मणों को भोजन आदि कराकर दान-पुण्य किया। आचार्य गौरीशंकर शास्त्री के अनुसार भारतीय श्राद्ध विज्ञान का सकारात्मक ²ष्टिकोण अस्तित्व को उल्लेखित करता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि मृत्यु के साथ जीवन समाप्त नहीं होता, सिर्फ आत्मा शरीर बदलती है। मृत्यु जीवन श्रृखंला की कड़ी है। धर्म शास्त्र में संस्कारों के क्रम में जीव को उस स्थिति को बांधा गया है। इसलिए जिनके पूर्वज एवं माता-पिता का देहावसान अमावस्या के दिन हुआ अथवा जिनके गुजरने की तिथि ज्ञात न होने पर श्राद्ध सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन करने का विधान है।