सदाबार गीतों से लोगों को किया मंत्रमुग्ध
संत कबीर की निर्वाण स्थली मगहर में शनिवार को भी काफी चहल-पहल रही।
संतकबीर नगर: संत कबीर की निर्वाण स्थली मगहर में शनिवार को भी काफी चहल-पहल रही। महिला, पुरुष, बच्चों ने मनोरंजन के विविध संसाधन जैसे-झूला, चरखी सहित अन्य का आनंद लिया। इसके इतर कई कार्यक्रम पेश किए गए। बच्चों ने संत कबीर की वाणियों को प्रस्तुत कर आम जनमानस को इस रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। गैर जनपद से आए एक गायक ने मो. रफी, किशोर दा, मुकेश के पुराने गीतों को गाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया।
ये दुनियां,ये महफिल,मेरे काम की नहीं..
सिद्धार्थनगर से आए गायक मो.जुनैद ने शनिवार को मो.रफी, किशोर दा, मुकेश के गाए पुराने गीतों को शानदार अंदाज में पेश किया।'सावन के झूलों ने..' गीत पर भीड़ मंच की ओर आने लगी। धीरे-धीरे खाली कुर्सियां भरने लगी। वहीं इनके 'ये दुनिया, ये महफिल मेरे काम की नहीं..' गीत को दर्शकों ने सराहा। इसके अलावा इन्होंने बार्डर सहित कई अन्य फिल्मों के गाने गाकर दर्शकों को ताली बजाने के लिए विवश कर दिया। इसके अलावा एक अन्य साथी कलाकार के साथ युगल गीत भी पेश की।
यूं कूदे और आया मजा..
बच्चों का सीढ़ी के जरिए चढ़ना और फिर ऊपर पहुंचने पर वहां से कूदना..। इन क्रियाकलापों के बीच हंसी की आवाज के बीच मौज लेना..। ऐसा करके बच्चे भी खुश थे और इनके साथ आए माता-पिता भी।
ग्राहकों को आकर्षित कर रहे दुकानदार
मेला परिसर में ऐसे कई दुकानदार रहे, जो चलते-फिरते अपनी दुकान लगाए हैं। इनमें से एक है महिलाओं, किशोरियों के लिए झूमका, माला, अंगुठी सहित अन्य सामान। इतनी किस्म कि इस दुकान के पास पहुंचने पर थोड़ी देर के लिए किशोरियां व महिलाएं असमंजस में पड़ जा रही थी कि क्या खरीदूं,क्या नहीं?
मुझे छूना है आसमां..
मुझे छूना है आसमां..। शायद चरखी पर बैठी महिलाएं, बच्चे, युवक के मन में यही बात रही होगी। रफ्तार के बीच इन्होंने चरखी का भरपूर आनंद उठाया। कई महिलाएं, बच्चे, युवक खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। यहां पर काफी भीड़ रही।