महाशिवरात्रि: भगवान शिव को प्रसन्न करने का महापर्व
साधना के लिए तीन रात्रियों में सिद्धि रात्रि का विशेष महत्व -इस पर्व में रुद्राभिषेक कराने पर प्राप्त होता है विशेष फल
संत कबीरनगर : 21 फरवरी को महाशिवरात्रि है। इस महापर्व पर पूजा, आराधना करके भोले शिवशंकर को प्रसन्न किया जा सकता है। साधना के लिए तीन रात्रियां विशेष हैं। शरद पूर्णिमा मोहरात्रि, दीपावली कालरात्रि तथा महाशिवरात्रि को सिद्धिरात्रि कहा गया है। सिद्धि रात्रि यानी महाशिवरात्रि का महत्व सर्वाधिक है। शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा, व्रत तथा दान का अनंत फल प्राप्त होता है। इस वर्ष तो शश योग बन रहा है, इसमें साधना बहुत ही पुण्यदायी होती है। इस बार महाशिवरात्रि को शनि व चंद्रमा दोनों मकर राशि में रहेंगे। रुद्राभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस महापर्व पर शिवलिग पर रुद्राभिषेक कराने का विशेष फल प्राप्त होता है। इससे कई जन्मों के पापों का नाश होता है। इस पर्व पर जगह-जगह भंडारा कराए जाते हैं। लोग दान-पुण्य करते हैं। ज्योतिषाचार्य सुजीत श्रीवास्तव ने कहा कि रोगों से पीड़ित लोग कुशोदक से, धन व प्रतिष्ठा के लिए दूध, जमीन व मकान व प्रतिष्ठा के लिए शहद से रुद्राभिषेक कराएं। पवित्र नदियों के जल से अभिषेक कराने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। इस दिन शिवमंदिर परिसर में श्री रामचरितमानस का अखण्ड पाठ कराने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
----------