कच्ची के खिलाफ गायत्री का 'हल्ला बोल'
कची के लिए था बदनाम अब आदर्श गांव बनी पहचान -कची की भट्ठी पर धावा बोलता है गैंग दूसरे गांवों में भी खौफ
संतकबीर नगर : कच्ची के खिलाफ गायत्री के 'हल्ला बोल' ने बखिरा के परतिया गांव की सूरत ही बदल दी। कभी कच्ची शराब के लिए बदनाम इस गांव की पहचान अब आदर्श गांव की है। इस जंग में बहुत परेशानियां आई, लेकिन हिम्मत नहीं हारीं। परिणाम यह हुआ कि गांव से कच्ची का नामोनिशान मिट गया। अगल-बगल के गांवों में भी इस पर रोक लगी है।
45 वर्षीय गायत्री कहती हैं कि 25 वर्ष पहले विवाह के बाद जब अपने सुसराल आई तो यहां कच्ची का धंधा फैला हुआ था। कइयों के सुहाग उजड़ते देखे, बच्चों को यतीम होते देखा। पहले तो चुप थी, बाद में ठान लिया कि मौत के इस धंधे को नहीं होने दूंगी। सात साल पहले घर की दहलीज से बाहर निकली और सीधे कच्ची के अड्डे पर पहुंच गई। काम बंद करने को कहा। धंधेबाज और शराब के शौकीनों ने धमकी के साथ मारा-पीटा। इस बीच गांव की मालती, गौरी, चंद्रावती, पुष्पा, सीमा, गुड्डी के साथ ही राजू निषाद, बबलू, अमरनाथ, धीरज निषाद, शिवनाथ आदि लोग भी मेरे साथ जुड़े तो मेरी हिम्मत और बढ़ी। कच्ची के अड्डों पर प्रदर्शन किया। ब्लाक, तहसील के साथ ही एसपी और डीएम कार्यालय तक धरना-प्रदर्शन किया गया। धावा बोल भट्ठियों को तोड़ा तो धंधेबाजों को गांव से खदेड़ा। इसमें दो साल लग गए। आज कहीं कच्ची नहीं दिखती। गांव के बाहर बैनर लग गया है कि अब यहां शराब नहीं बिकती। पांच साल से यहां कच्ची की कोई भट्ठी नहीं धधकी।
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गायत्री के हौसले को सलाम
ग्राम प्रधान पुष्पा देवी ने बताया कि गायत्री कच्ची के लिए चंडी बन गईं। कारोबारियों से कई बार पिटीं, लेकिन डिगी नहीं। कच्ची बिकने की सूचना मिलते ही उनकी टोली पहुंच जाती और हंगामा खड़ा कर देती थी। आज गांव कच्ची से मुक्त है।