यहां पांच रुपये में भरपेट भोजन
गरीबों और छात्रों की भूख मिटाने के पुनीत संकल्प का नाम है गुरुजी की रसोई। खलीलाबाद के बिसरापार निवासी शिक्षक 35 वर्षीय राजेश रंजन को भूख से परेशान गरीबों व छात्रों का दर्द महसूस हुआ और उनको भरपेट भोजन देने की ठान ली।
संत कबीर नगर: गरीबों और छात्रों की भूख मिटाने के पुनीत संकल्प का नाम है 'गुरुजी की रसोई'। खलीलाबाद के बिसरापार निवासी शिक्षक 35 वर्षीय राजेश रंजन को भूख से परेशान गरीबों व छात्रों का दर्द महसूस हुआ और उनको भरपेट भोजन देने की ठान ली। शिवरात्रि 21 फरवरी 2020 से यह रसोई घर खोल भरपेट भोजन देने का कार्य भी शुरू कर दिया।
बिधियानी मोहल्ले में उनका कोचिग सेंटर है। लोग उन्हें गुरुजी के नाम से जानते हैं। एमए, एमएड डिग्रीधारी राजेश सुबह-सुबह घर से खाली पेट खलीलाबाद पढ़ने आने वाले बच्चों और मजदूरो को भोजन मिले, इसके लिए वह पिछले कुछ वर्षों से पैसे की व्यवस्था में लगे थे। कुछ साथियों को भी अपनी योजना में साझीदार बनाया। पैसे की व्यवस्था हो गई तो अपनी रसोई शुरू कर दी। नाम दिया 'गुरुजी की रसोई'।
खुद बनाते हैं और चखकर परोसते हैं
-भोजन गुरुजी अपने हाथों से बनाते हैं। पहले उसे चखते हैं, फिर दूसरे को परोसा जाता है। सुबह 11 बजे से दिन के दो बजे तक भोजन मिलता है। प्रति दिन दो से ढाई सौ लोगों का भोजन पकता है। वे बताते हैं कि रसोई में कोई अड़चन नहीं है। दो साल तक की व्यवस्था उनके पास मौजूद है। लोग उनसे लगातार जुड़ रहे हैं। कोई राशन दे रहा है तो कोई पैसा। पांच रुपये इसलिए लिए जा रहे हैं कि किसी को यह न लगे कि फ्री में भोजन कर रहे हैं।
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कुछ देने का नाम ही जीवन है
राजेश कहते हैं कि यदि समाज से हमें कुछ मिल रहा है तो उसे देना भी होगा, यही जीवन है। बच्चों और गरीबों की भूख वह स्वयं महसूस कर रहे थे। उन्हें लगा कि भूखे को भोजन कराना पुण्य का काम है।