प्रभु की भक्ति में सांसारिक दुखों से मुक्ति संभव: शास्त्री
संतकबीर नगर : मानव सांसारिक मोह माया में फंसकर भगवान की भक्ति से दूर हो रहा है। यही उसके दु:ख का
संतकबीर नगर : मानव सांसारिक मोह माया में फंसकर भगवान की भक्ति से दूर हो रहा है।
यही उसके दु:ख का कारण भी है। भागवत भक्ति के प्रति समर्पण ही समस्त दु:खों को नाश करने का एक
मात्र मार्ग है। यह बातें सोमवार को झु¨गया में श्रीविष्णु महायज्ञ में पांचवे दिन अयोध्या पधारे आचार्य प्रभाकर शास्त्री ने कही। उन्होंने कहा कि यह संसार माया का एक घेरा है। जीव की उत्पत्ति होने के बाद से ही उसे सांसारिक बंधन आकर्षित करने लगते है। पूरा जीवन सांसारिक मोह माया मे बुजुर्ग होने मनुष्य को ईश्वर की याद आती है। उसी समय प्रभु की याद आती है। भगवान मात्र भक्ति के भूखे है। कलयुग में भगवान के नाम लेने से ही मनुष्य के सारे कष्टों का अंत हो जाता है। शास्त्रीजी ने कहा कि मनुष्य को गृहस्थ जीवन से कुछ समय ईश्वर के लिए भी निकालना चाहिए।
वन गमन प्रसंग सुनकर आंखे भर आई। इस मौके पर प्रधान शमीम अख्तर अंसारी, लालचंद निषाद, बसंत, रमावती, अनीता, दुर्गावती आदि मौजूद रहे।